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शूरसेन जनपद में जैन धर्म का विकास
ही लोग आते हैं, अपितु मध्य प्रदेश और राजस्थान से भी लोग आते हैं। इस मेले में पशुओं का क्रय-विक्रय किया जाता है। ___ बटेश्वर से एक जिन चौमुखी दसवीं शती की प्राप्त हुई है। पार्श्वनाथ के मस्तक पर सात फणों का अंकन है। अन्य तीर्थंकरों की पहचान सम्भव नहीं है।
इसी स्थान से एक खड्गासन" प्रतिमा ग्यारहवीं शताब्दी की प्राप्त हुई है। इस प्रतिमा में पाँच सर्पफणों से युक्त पारम्परिक यक्ष-यक्षी का अंकन मिलता है। ___ एक अन्य प्रतिमा बारहवीं शताब्दी" की हल्के गुलाबी रंग के प्रस्तर पर निर्मित है। मूल प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में तीर्थंकर के पार्श्व में बायीं
ओर श्री कृष्ण शंख लिए और आसवपात्र हाथ में लिए हुए बलराम खड़े हैं। यह नेमिनाथ की महत्वपूर्ण प्रतिमा है।
बरसाना
बरसाना छत्ता तहसील के अन्तर्गत स्थित है। यह 27°39' उत्तरी अक्षांश तथा 77°23' पूर्वी देशान्तर पर स्थित है। मथुरा से 49.89 किमी. उत्तरी-पश्चिमी तथा छत्ता से 16.09 किमी. दक्षिण-पश्चिमी और गोवरधन से 19.31 किमी. उत्तरी-पश्चिमी भाग पर स्थित है। सभी एक-दूसरे से पक्की सड़कों से सम्बद्ध है। ___ इसके नाम के विषय में अनेक किवदन्तियाँ हैं। एक किवदन्ती के अनुसार ब्रह्मा के नाम पर बरसाना पड़ा तथा हिन्दू मान्यता के अनुसार यह राधा का घर था। यहाँ पर राधा जी का मन्दिर है तथा तीन अन्य मन्दिर भी हैं। ____ बरसाना से जैन तीर्थंकर की बैठी हुई ध्यानमुद्रा में मूर्ति मिली है। यह 1.17 सेंमी. ऊँची है। मस्तक खिलते हुए कमल के समान प्रतीत होता है परन्तु प्रभामण्डल खण्डित है। दायीं एवं बायीं ओर दो विद्याधर उड़ते हुए प्रदर्शित किये गये हैं। उनमें से दो हाथ में हार लिये हुए हैं तथा