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शरसेन जनपद में जैन धर्म का योगदान
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व्यापारियों के आर्थिक सहयोग से जैन मुनियों ने समाज के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये। कुषाण शासकों ने तो जैन धर्म के प्रति अगाध श्रद्धा प्रकट की बौद्ध धर्म के साथ-साथ जैन धर्म पल्लवित एवं पुष्पित होता रहा तथा शताब्दियों तक यह जनपद जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र रहा।
बी.ए. सैलेतोर की यह मान्यता युक्ति संगत है कि जब भी जैन धर्म के अनुयायी शासकों का शासन रहा, उन्होंने अन्य धर्मावलम्बियों को किसी भी प्रकार उत्पीड़ित नहीं किया। उनके राज्यकाल में अधिक युद्ध भी नहीं हुए, क्योंकि वे अहिंसा प्रेमी होते थे। शासक वर्ग अपने व्यावहारिक कार्यों में भी धार्मिक गुरूओं का परामर्श प्राप्त करते थे, जो अहिंसा के पुजारी थे। जैन मुनि सभी धर्मों को एक समान मानते थे तथा बलपूर्वक धर्म परिवर्तन को असंगत मानते थे।' ___ भाषा तथा साहित्य के इतिहास में जैन धर्म का उल्लेखनीय योगदान रहा है। शूरसेन जनपद की उपलब्धियों से भारतीय साहित्य समृद्ध हुआ। समय की गति के अनुसार जैन आचार्यों, साहित्यकारों एवं कलामर्मज्ञों ने भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में उच्चकोटि के साहित्य का प्रणयन कर भारतीय साहित्य के संवर्द्धन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
भगवान महावीर ने उस युग की लोकभाषा अर्द्धमागधी में अपने धर्म-उपदेश द्वारा विश्व मानवता के कल्याण को नई दिशा प्रदान की, उसकी उपादेयता आज के सन्दर्भ में भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
नेमिचन्द्र शास्त्री के मतानुसार मनुष्य की भाषा सृष्टि के आरम्भ से ही निरन्तर प्रवाह रूप में चली आ रही है, पर इस प्रवाह के आदि और अन्त का पता नहीं है। नदी की वेगवती धारा के समान भाषा का वेग अनियन्त्रित रहता है। भौगोलिक परिस्थितियों का आधार पाकर मूल भाषा विकास और विस्तार को प्राप्त करती गई। इस प्रकार विकास और विस्तार करते-करते एक से अनेक भाषाएं बनती गई, जिनका तुलनात्मक अध्ययन करने पर उनमें पूर्णतः भिन्नता दृष्टिगोचर होती है।