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शूरसेन जनपद में जैन धर्म के प्रमुख
केन्द्र
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सबसे नीचे चरण-चौकी के मध्य एक चक्र स्थित है। भगवान नेमिनाथ का मस्तक अलंकृत प्रभामण्डल से सुशोभित है। प्रतिमा के दोनों ओर दो मुख्य आकृतियाँ विद्याधरों को उड़ते हुए प्रदिर्शत किया गया है । मस्तक के दोनों ओर गन्धर्व एवं अप्सरा को अंकित किया गया है । गन्धर्व के हाथ में हार तथा अप्सरा के हाथ में फूलों का अंकन किया है।
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तीर्थंकर की आँखें अर्द्ध-उन्मीलित हैं तथा नाक एवं होठों का कुछ भाग खण्डित है । केश घुंघराले हैं। वक्ष पर श्रीवत्स का लांछन उत्कीर्ण है। यह प्रतिमा नवीं दसवीं शताब्दी की है । यह 1.36 सेंमी. ऊँची है। वर्तमान समय में यह प्रतिमा राजकीय संगहालय में सुरक्षित है। 39
कटरा केशवदेव
मथुरा तहसील में कटरा केशवदेव नामक स्थान स्थित है । यह स्थान कंकाली टीले से 11⁄2 किमी. की दूरी पर स्थित है। कटरा के पश्चिम में कंस किला स्थित है । कटरा से हसनगंज और किले तक पक्की सड़क जाती है।
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मथुरा पहुँचने के बाद बस द्वारा कटरा पहुँचा जा सकता है । यहाँ पर कार्तिक पूर्णिमा के सातवें दिन वार्षिक मेले का आयोजन होता है ।
कटरा केशवदेव से एक जैन तीर्थंकर की चरण- चौकी का अंश प्राप्त हुआ हैं । सिंहासन में सिंह का मुख एवं एक महिला उपासिका का मुख उत्कीर्ण है। यह चरण - चौकी अभिलिखित है । लेख से यह ज्ञात होता है कि सोमगुप्त की पुत्री मित्रा ने भगवान सुमतिनाथ की प्रतिमा स्थापित करवायी थी ।
पाँचवें तीर्थंकर सुमतिनाथ की यह प्रतिमा कुषाण कालीन है। यह लाल बलुए पत्थर से निर्मित है। मथुरा कला के अन्तर्गत निर्मित तीर्थंकरों की प्रतिमाओं में यह अभिलिखित चरण - चौकी महत्वपूर्ण है ।