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शरसेन जनपद में जैन धर्म का विकास
अरिंग मथुरा तहसील में अरिंग एक कृषि प्रधान गाँव है। यह 27°29' उत्तरी अक्षांश तथा 77°32' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। मथुरा के पश्चिम में 19.31 किमी. और 6.44 किमी. पूर्व में गोवर्धन तक पक्की सड़क जाती है। उत्तर-पश्चिम में राधाकुण्ड तक पक्की सड़क से सम्बद्ध है। बसों के द्वारा यहाँ पहुँचा जा सकता है।
इस स्थान के नाम के विषय में अनेक किवदन्तियाँ प्रचलित हैं। एक किवदन्ती के अनुसार कृष्ण ने अरिंगसुर नामक दैत्य का वध किया था। अतः उसके नाम के आधार पर इस स्थान का नाम अरिंग पड़ा। ___एक अन्य लोकश्रुति के अनुसार- स्थानीय बाजार का नाम, अरंग था, परन्तु वास्तविक नाम अरिस्थ-ग्राम था। कालान्तर में इसका नाम अपभ्रंश के रूप में अरिंग पड़ा।
यह स्थान चारों ओर चौबीस छोटे वनों से घिरा हुआ है। किलोल कुण्ड नामक तालाब भी इसी स्थान के निकट है। रविवार के दिन वहाँ हाट लगता है। __ अरिंग से ही एक जैन प्रतिमा छोटे आकार की प्राप्त हुई है। यह सर्वतोभद्रिका प्रतिमा है। यह नवीं-दसवीं शताब्दी की मूर्ति है। चार तीर्थंकर 'कायोत्सर्ग' मुद्रा में खड़े हैं। यह प्रतिमा तेरह सेमी. ऊँची हैं। वर्तमान समय में यह प्रतिमा मथुरा संग्रहालय में सुरक्षित है।' कंकाली टीला कंकाली टीला मथुरा नगर के दक्षिण-पश्चिम में भूतेश्वर क्रॉसिंग एवं बी. एस.ए. कॉलेज के मध्य में स्थित है। __ दुर्गा जी का एक रूप कंकाली भी है। अतः हिन्दू कंकाली देवी का मन्दिर यहाँ पर स्थापित होने के कारण इसे कंकाली टीले के रूप में ख्याति मिली है। कंकाली टीले को ‘जैनी टीला'15 भी कहा जाता है। क्योंकि इस स्थान से असंख्य जैन कलाकृतियाँ प्राप्त हुई हैं।