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अध्याय द्वितीय शूरसेन जनपद में जैन धर्म का विकास
बुद्धकालीन षोड्स महाजनपदों में शूरसेन जनपद का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। शूरसेन जनपद की राजधानी मथुरा थी। भगवान कृष्ण की जन्मभूमि होने के कारण मथुरा को भारत की हृदयस्थली के रूप में भी स्वीकार किया गया है। मथुरा की गणना सप्तमहापुरियों में की गई है। __शूरसेन जनपद जैन धर्म का एक प्रमुख केन्द्र रहा है। जैन तीर्थों में मथुरा को एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। शूरसेन जनपद को वैदिक, जैन एवं बौद्ध धर्मों का प्रमुख स्थल होने का गौरव प्राप्त है। ___ मनु ने ब्रह्मर्षि देश के अन्तर्गत कुरू, पंचाल, मत्स्य और शूरसेन प्रदेशों की स्थिति को स्वीकार किया है। शूरसेन जनपद के निवासियों का आचार-विचार समस्त पृथ्वी के नर-नारियों के लिए आदर्श था।'
संसार की सबसे प्राचीन वैदिक संस्कृति का प्रादुर्भाव ब्रह्मर्षि प्रदेश में हुआ था।
जैन धर्म की प्रचलित अनुश्रूति के अनुसार नाभि के पुत्र भगवान ऋषभदेव की आज्ञा से इन्द्र ने बावन देशों की रचना की थी। उन देशों में शूरसेन देश और उसकी राजधानी मथुरा का भी उल्लेख है।' ___जैन धर्म के सातवें तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ का विहार शूरसेन की राजधानी मथुरा में हुआ था। उनके विहार स्थल का कुबेरा देवी द्वारा एक सुन्दर स्तूप बनाया गया था, जो जैन धर्म के इतिहास में बहुत प्रसिद्ध रहा है।