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(५) व्यवहारज्ञान-एटले अलंकार, व्याकरण, अन्य मतियोना ग्रंथ तथा गणितानुयोग, कथानुयोग, चरणकरणानुयोगनुं जाणपणुं, ए सर्व व्यवहार ज्ञान छे. तथा उपयोग विना सूत्र सिद्धांतना अर्थ करवा ए पण व्यवहार ज्ञान छे. हठ समाधि ते पण व्यवहार ज्ञानछे. एमांथी मुक्ति मळती नथी, पण आत्माना स्वरुपर्नु सम्यक् जाणवू, षड् द्रव्यना गुण पयोयनुजाणवू,उत्पाद व्यय अने ध्रुवनुंजाणवू, ते थकी निश्चय ज्ञान पूर्वक मुक्ति थाय छे. पांच द्रव्य त्याग करवा योग्य छे, एमां आत्मानी वस्तु कंइ नथी, ए पांचमां पण पुद्गल द्रव्यना संयोग संबंधे आ आत्मा परवस्तु पोतानी मानी बेठो छ, पण वस्तुतः ते पोतानी नथी. ज्ञान वस्तु आत्मानी छे.
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