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प्राचीन जैन इतिहाम। १०
पाठ ५। जरासिंधु।
( नवमां प्रतिनारायण) (१) जरासिंधु राजगृहके राजा सिंधुपतिका पुत्र था। बाल्यावस्थासे ही वह बड़ा पराक्रमी और बलवान था।
(२) उसने अपने पराक्रमसे मगध देशके सभी राजाओंको अपने वशमें कर लिया था।
(३) कुछ समयके पश्चात् उसको चक्ररत्नकी प्राप्ति हुई जिसके बलसे उसने तीन खण्डके राजाओंको जीत लिया।
(४) श्रीकृष्ण नारायण के द्वारा जरासिंधुका वध हुआ और वह मरकर नर्क गया।
पाठ ६।
श्रीकृष्ण-बलदेव। (नवमें बलभद्र और नारायण श्रीकृष्णके पूर्वज)
(१) शौर्यपुर नगरके हरिवंशी राजा सूरसेन थे। उनके अंधकवृष्टि और नरवृष्टि नामक दो पुत्र हुए थे।
(२) अंधकवृष्टिकी रानी सुभद्राके १० पुत्र हुए। जिनमें समुद्र विजय सबसे बड़े और वसुदेव सबसे छोटे थे। कुंती और मादी नामकी दो पुत्रियां भी उनके हुई थीं। नरवृष्टिकी रानी पद्मावतीसे उग्रसेन भादि तीन पुत्र और गांधारी नामक पुत्री हुई।