________________
३३
तीसरा भाग
नारीने झटका मारकर हाथ छुड़ा लिया और युधिष्ठिर के पास जाकर उस दुष्टके दुष्कृत्यको कहा । द्रौपदीकी बातें सुनकर युधिष्ठिरकी मांखें चढ़ गई. वह उसे सान्त्वना देने लगे । भीम द्रौपदीके ऊपर इस अत्याचारको सुनकर लाल होगया और कीचकके मारनेको तैयार होगया। उसने द्रौपदीसे कहा, कि तुम जाकर उससे कल रातको बनके एकांत स्थानमें मानेके लिये संकेत कर माओ। द्रौपदी कीचक के पास गई और उसने उस कपटीसे कहा कि मैं आपको चाहती हूं, आप रात्रिके समय नाट्यशाला में माना । रात्रि होने पर भीमने स्त्रीका वेष धारण किया और संकेत स्थान में जाकर बैठा। काम पीड़ित कीचक भी भागया और उसने भीमका हाथ पकड़ा। भीमने उसे तुरन्त ही पकड कर जमीन पर पटक दिया। जिससे उसका उसी समय देहांत होगया।
(१८) इसी बीचमें दुर्योधनने अपयशके कारण अपने सेवकोंको पांडवोंकी खोजमें भेजा और भीष्मपितामहने पांडवोंको फिरसे हस्तिनापुर बुलानेकी सम्मति दी । इसी समय अविचारी जालंघर राजाने कहा-कि विगटका प्रचंड पक्षगती कीचक किसी गंधर्व द्वारा मारा गया है, इसलिए मैं विराटकी गौ हरण करूंगा। उसने जाकर बालोंसे सुरक्षित गोकुलको हर लिया । विगटने अपनी सेना लेकर जालंधरसे युद्ध किया । जालंधरने उसे युद्ध में पकड़ लिया तब भीम जालंधरसे युद्ध करनेको पहुंचा। उसने जालंधरकी सेना नष्ट कर भयंकर बाणोंकी वर्षा कर जालंधरको पकड़ लिया। जालंघरके पकड़े जानेसे दुर्योधन क्रोधित होकर सेना सहित युद्धके
३