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प्राचान जैन इतिहास । ५०
९०० विक्रिया रिद्धिके घारी ५०० मन:पर्यय ज्ञानके घारी
४०० वादी मुनि
७०० केवलज्ञानी
१४०००
३६००० चन्दना आदि आर्यिकायें
१००००० श्रावक
३००००० श्राविकायें
( १७ ) जब आयुका एक मास शेष रहा तब दिव्यध्वनि होना बंद हुआ और पावागिर पर्वतपर इस एक माह में शेष कर्मोंका नाशकर कार्तिक कृष्ण अमावश्याको मोक्ष प्राप्त किया । इन्द्रादि देवोंने निर्वाण उत्सव मनाया। इसी दिन संध्याको श्रौतम गणधरको केवलज्ञान प्राप्त हुआ जिसका उत्सव इन्द्रादि देवोंने रत्नदीपक जलाकर किया । उसी दिन से दीपावली नामक पर्व मनाया गया ।
पाठ १५ ।
महाराजा श्रेणिक ।
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( १ ) मगध देशके राजा उपश्रेणिक थे, उनकी राजधानी राजगृह थी । यह बड़े शूरवीर और धर्मात्मा थे । उपश्रेणिककी रानी इन्द्राणी से महाराज श्रेणिकका जन्म हुआ था। ये प्रतापी, बुद्धिमान और बलवान थे ।