________________
R
: तोमग भाक
पुत्र नन्दाढ्य और पद्मास्यसे भेंट हुई। उनके कहनेसे अपनी मातासे मिलने गए और उनसे मिलकर राजपुरी पहुंचे। सेठ गंधोत्कटसे सलाह लेकर वे अपने मामा गोविंदराजके यहां धरणीतिलक नगर गए और उनसे परामर्श करके उनके साथ काष्टांगारका निमंत्रण प्राप्त होनेपर सैना सहित राजपुरी गए।
(१३) राजपुरीमें गोविन्दराजने अपनी पुत्री लक्ष्मणाका स्वयंवर रचा और यह विदित किया कि जो चन्द्रक यंत्रके तीन वराहोंको छेदेगा उसे मैं अपनी कन्या दूंगा। सभी राजाभोंने यंत्रको छेदनेका प्रयत्न किया परन्तु कोई भी सफल नहीं हुए तब जीवंधाकुमारने बातकी बातमें अनुष चढ़ाकर उन वराहोंको छेद डाला। गोविंदगजने अपनी पुत्री देकर सब राजाओंके सामने प्रकट किया कि यह सत्यंधर महाराज के पुत्र जीवंधर कुमार हैं।
(१४) जीवंधरकुमारका परिचय प्राप्तकर काष्टांगार बहुत घबराया, वह जीवघरकुमारसे युद्ध करनेको तैयार होगया। दोनोंमें भयंकर युद्ध हुमा । अन्तमें जीवंधरकुमारके हाथसे दुष्ट काष्टांगार मारा गया ।
(१५) गोविंदराजने बड़े समारोह के साथ जीवंधरका राज्य अभिषेक किया और जीवंधर महाराज अपनी सभी रानियोंके साथ सुखपूर्वक राज्य करने लगे।
(१६) एक दिन जीवंधरस्वामी अपनी माठों रानियों के साथ जलक्रीड़ा कर रहे थे कि उन्हें अचानक वैराग्य हो माया । के अपने पुत्र सत्यंघरको राज्य देकर भगवान महावीरको समवशरण