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, प्राचीन जैन इतिहास।
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... (८) एक समय जीवंधर कुमारने, मार्गमें ब्रह्मणों के द्वारा मारते हुए एक कुत्ते को देखा। उन्होंने उसे बड़ी दयाके साथ णमोकार मंत्र सुनाया। जिससे वह मरकर सुदर्शन नामक यक्ष हुमा ।
(९) राजपुरी सुमंजरी और गुणमाला नामक दो कन्याएं थीं। गुणमाला नदीसे स्नान कर घर भारही थी। उसी समय राजाका उन्मत्त हाथी छूट गया। वह कन्यापर झपटना ही चाहता था कि कुमारने माकर उसे मुक्कोंसे मारकर मद रहित कर दिया । गुणमाला कुमारको देखकर मोहित होगई। माता पिताने कुमारके साथ उसका तथा सुरसुंदरीका विवाह कर दिया।
(१०) गुणमालाको बचाते समय कुमारने काष्टांगारके हाथीको कड़ी चोट पहुंचाई थी। इसलिए उसने क्रोधित होकर कुमारको राजसभामें बुलाकर मार डालने का हुक्म दिया। लोग उन्हें मारनेके लिए जा रहे थे कि मार्गमे सुदर्शन यक्षने उन्हें उठाकर चन्द्रोदय पर्वतपर पहुंचा दिया। वहांपर पहुंचकर कुमारने एक स्थानपर दावा. नलसे जलते हुए हाथियोंको बचाया और भनेक तीर्थोकी यात्रा की।
(११) चंद्रमा नगरीके राजा धनपतिकी पुत्री पद्माको सांपने काट खाया था। कुमारने मंत्र बलसे सर्प विषको दूर करके उसे जीवनदान दिया, इससे प्रसन्न होकर सजाने कन्याका उनसे विवाह कर दिया और अपना भाषा राज्य कुमारको दे दिया।
(१२) वहांसे चलकर वह हेमामा नगर पहुंचे। वहांके राजपुत्रोंको कुमारने धनुषविद्यायें सिखलाई, जिससे राजाने प्रसन्न होकर अपनी कन्या कनकमाला उन्हें विवाह दी। वहांपर इनकी गंधोत्कट सेठके