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प्राचीन जैन इतिहास |
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(१२) सोने के वर्तनमें कुत्तेको भोजन करते देखा । (१३) जुगनूको चमकते देखा ।
(१४) सूखा तालाब देखा ।
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(१५) घुटमें खिला हुआ, कमल देखा । (१६) चन्द्रमा में छिद्र देखा ।
( १२ ) सबेरे उठते ही वे स्वप्नोंका फल पूछने के लिए अपने गुरु श्री भद्रबाहु स्वामी निष्ट पहुंचे। उन्होंने गुरुदेवको नमस्कारः कर स्वप्न का फल पूछा. |
(१३) श्री मद्रबाहु से स्वामीने स्वप्नोंको सुनकर उनका कहा कि इन स्वप्नकि फलस्वरूप मगध
फल बतलाया | और
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देशमें घोर अकाल पड़ेगा । उन्होंने इस तरह से १६ स्वप्नोंका फल
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बतलाया जिससे महाराजाको संतोष हुआ—
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( १ ) द्वादशांग के पाठियोंका अभाव होगा ।
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(२) मुनियोंमें परस्पर फूट होगी और अनेक संघ
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स्थापित होंगे।
( ३ ) क्षत्रिय लोग जैन धर्म धारण नहीं करेंगे पालन नहीं करेंगे
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( ४ ) राजा
( ५ ) बारह वर्ष का अकाल पडेगा ।
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( ६ ) भारतमें अब देवताओंका मागमन नहीं होगा (७) भारत के राजा जैनधर्मको छोडकर मिथ्यामार्ग
ग्रहण करेंगे।
(८) असमय में थोड़ी वर्षा होगी ।