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तीसरा भाग
पाठ २१ ।। विद्युतप्रभ चोर। (१) पोदनपुरके राजा विद्युतराज रानी विमलमतीके यहां विद्युत्पमका जन्म हुआ था । विद्युत्पभ बाल्यावस्थासे ही साहसी और पराक्रमी था।
(२) बाल्यावस्थासे ही कुसंगतिमें पड़ जानेके कारण उसे चोरीकी मादत पड गई थी और बढ़ते२ वह अपने बहुतसे साथि: योंक साथ बड़ी २ चोरियां करने लगा।
(३) पिताने उसे बहुत समझाया, डांटा और राज्य देनेका' प्रलोभन दिया, परन्तु उसने एक भी बात न सुनी। उसने साफ उत्तर देदिया कि यदि आप मुझे सारा राज्यपाट और धन संपत्ति भी दे दे तो भी मैं चोरी करना नहीं छोडूंगा।
(४) वह अपने ५०० साथियोंके साथ राजगृही नगरीमें जाकर फमला वेश्याके घर ठहरा और नगरके आसपास चोरियां. करता रहा। - (५) जिस रात्रिको जम्बुकुमारका विवाह हुआ था और उनकी स्त्रियां तथा मातापिता उन्हें मुनिदीक्षा ग्रहण करनेसे रोकनेका प्रयत्न कर रहे थे, उसी रात्रिको विद्युत्प्रभ भी चोरी करने के विचारसे उनके महल में पहुंचा।..
. (६) जम्बूकुमारकी माता उस समय शोकसे दुःखी होरही थी, उसने विद्युत्पमसे कहा कि यह सारी धन दौलत तु ले जा