________________
तीसरा भागः किया । तब ब्राह्मणने एक श्लोक पढ़ा जिसका अर्थ गौतमकी समझमें नहीं आया तब उन्होंने कहा कि मुझे अपने गुरुके पास मुझे ले चलो, मैं वहीं इसका अर्थ बतलाऊँगा । इन्द्र गौतमको भगवान्। महावीरके समोशरणकी ओर ले चला। मानस्तंभको देखते ही गौतमका मानभंग होगया। उसका मन सरल होगया। समोशरणमें जाकर भगवान महावीरकी शांत मुद्राका दर्शन करते ही उसका मिथ्यात्व नष्ट होगया। उसने भगवानको बड़ी भक्तिसे नमस्कार किया और उनसे धर्मका स्वरूप पूछा । धर्मका रहस्य जानकर उसने तुरन्त ही दीक्षा धारण की और अपने पांचसौ शिष्यों को भी दीक्षा दिलवाई। परिणामोंकी विशेष विशुद्धि के कारण उसी समय उन्हें सात ऋद्धियां प्राप्त हुई । श्रावण कृष्ण प्रतिपदाके दिन सबेरेके समय उन्हें सब अंगोंका ज्ञान होगया और उसी दिन संध्याको सब पूर्वोके मर्थ और पदोंका ज्ञान होगया । वे भगवान महावीरके प्रथम गणधर हुए।
(१५) भगवान महावीरने ३० वर्षतक अनेक देशोंमें भ्रमण कर महिंसा धर्मका उपदेश दिया जिससे सारे भारतवर्षसे यज्ञ और बलिदानकी प्रथा नष्ट होगई। (१६) मापके समोशरणमें इस प्रकार चतुर्विध संघ था
११ गौतम आदि गणधर ३११ द्वादशांग ज्ञानके धारी ९९०० शिक्षक मुनि १३०० भवधिज्ञानी
-
४