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तीसरा भागः
उसके लिए प्रत्येक घरसे एक २ मनुष्यकी वारी बांध दी। और वारीके दिन एक मनुष्य उसकी भेंट होने लगा।
(६) एक समय एक वैश्य स्त्रीके पुत्रकी वारी थी । उसके वही भकेला पुत्र था, इसलिए वह उसके वियोगसे दुःखी होकर विलाप कर रही थी। उस वैश्य स्त्रीके यहां उस दिन पांचों पांडव तथा माता कुन्ती ठहरी थी, उसने उसका दुःख सुनकर उसका कारण जानकर भीमको सभी हाल सुनाया। भीम सबको दिलासा देकर बकराक्षसके पास निर्भय होकर गया। भीमने बकसे युद्ध किया और उसे पृथ्वी पर पछाड़कर उसकी छातीपर चढ़ गया। बकने क्षमा मांगी
और मांस न खाने की प्रतिज्ञा की तब भीमने उसे छोड़ दिया। उस दिनसे बकने फिर कभी मांस नहीं खाया।
पाठ १२। बारहवें चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त ।
(१) कापिल्यनगरके राजा ब्रह्मरथ रानी चूलादेवीके गर्भसे ब्रह्मदत्तका जन्म हुमा था । उनका शरीर सात धनुष्य ऊंचा और सौ वर्षकी आयु थीं।
(२) इनके चौदह रत्न और नवनिधिएं आदि थीं। इन्होंने छहों खण्डोंको विजय किया था । बत्तीसहजार राजा इनके माधीन थे। छयानवेहजार रानियां थीं।
(३) एक दिन चक्रवर्ती भोजन करने बैठे, उस समय