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पाचीन जैन इतिहास । ३४ लिए विराट देशको चला और उसका सारा गोधन हर लिया। विराटका पुत्र अर्जुनकी शरणमें भाया और द्रोणाचार्य, तथा भीष्मपितामहके समझानेपर भी कौरव पांडवोंमें भयानक युद्ध छिड़ गया और पांडवोंने कौरवोंको हराकर पीछे लौटा दिया ।
(१९) विराटको निश्चय होगया कि ये पांडव हैं, तब उसने 'भपनी पुत्री उत्तराका मभिमन्यु के साथ विवाह कर दिया। पांडव वहांसे चल दिए और द्वारिका पहुंचे।
(२०) द्वारिका जाकर अर्जुनने कौरवोंके छलको कृष्ण जीसे कहा। कृष्ण जीने दुर्योवनके पास एक दूत के द्वारा संदेशा भेजा कि भाप मान छोड़कर कपट रहिन होकर संधि कर लीजिए और आधा भाषा राज्य बांट लीजिए। दुर्योधनने दूतको राज्यसे निकाल दिया
और एक पैर पृथ्वी देने से भी इन्कार किया। इसके बाद ही पांडव यादवों सहित कौरवोंपर चढ़ाई करनेकी तैयारी में लग गए ।
(२१) पांडवों के पक्ष श्रीकृष्ण थे और कौरवों के पक्षमें जरासिंधु था। पांडव श्रीकृष्ण के साथ २ मसंख्य सेना लेकर कुरुक्षेत्रमें भापहुंचे । जगसिंधुने अपनी सेनामें चक्रव्यूहकी रचना की और पांडवोंकी सेनामें तायव्यूह रचा गया । थोड़ी दे में दोनों सेनाओंमें भयंकर युद्ध होने लगा।
(२२ ) मर्जनके पुत्र अभिमन्युने चक्रव्यूहको भेदकर कौरवोंकी सेना में प्रवेश किया और एक क्षणमें ही अपने ब.णोंसे सेनाको वेध डाला तब गांगेय और शल्य आदि महारथियोंने अभिमन्युके