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तीमरा भाग सामने जाकर उसे रोका । इसी समय कौरवों और पांडवोंमें भयंकर मुद्ध हुआ जिसमें अनेक महारथी मारे गए।
(२३) शिखण्डी द्वारा भीष्मपितामह मारे गए और जबद्रथके द्वारा वीर अभिमन्यु मारा गया । इनकी मृत्युसे कौरव और पांडव दोनोंकी सेना में महा शोक छागया। दूसरे दिन अर्जुनने जयद्रथको मारने की प्रतिज्ञा की । वह अर्जुनके द्वारा मारा गया । इसी प्रकार कौरवोंके द्रोणाचार्य, शल्य, कर्ण आदि महा प्रतापी सभी योद्धा मारे गए । अंतमें भीमकी गदा द्वारा दुर्योधन भी मारा गया और श्रीकृष्ण द्वारा जरा सिंधुका वध हुमा।
(२४ ) दोण, कर्ण भादिको मृत्युके मुंहमें पड़े देखकर पांडव, श्रीकृष्ण तथा बलदेव बड़े शोकाकुल हुए, उन्होंने उसी समय उनकी दम्ब क्रिया की । पांडवोंको हस्तिनापुरका राज्य प्राप्त हुआ। उन्होंने बहुत समय तक राज्य किया।
(२५) बहुत समय तक राज्य करने के बाद पांचों पांडवोंने श्री नेमिनाथस्वामी के पास मुनि दीक्षा धारण की।
(२६) एक समय जब वे ध्यानमें मग्न थे तब कुमुर्धर नामक राजपुत्रने उनपर महा उपसर्ग किया। उनके शरीर पर लोहे के जेवर गर्म करके पहनाए, परन्तु वे सब अपने मात्मध्यानमें मग्न होगए।
(२७) युधिष्ठिर, भीम और मर्जुनने मोक्ष प्राप्त किया और नकुल सहदेव सर्वार्थसिद्धिमें महमिन्द्र हुए ।