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१७ . सासरा भाग स्तनोंमें विष मिलाकर उन विष भरे स्तनोंको पिलाकर कृष्णको मारनेका विचार किया। वह बालकका पालन-पोषण करने लगी। परन्तु कणके दूध पीते समय किसी दुसरी देवीने माकर उसके कुचोंमें ऐसी पीड़ा पहुंचाई कि जिसे वह सह न सकी और भागकर चली गई। इसके बाद दूसरे दिन दुसरी देवी गाड़ीका रूप धारण कर कृष्णके ऊपर भाई, परन्तु कृष्णने लात मार कर तोड दी। एक दिन नंद गोपकी स्त्री कृष्णकी कमर एक ऊखलसे बांध कर जल लेने गईं, परन्तु कृष्ण उसे तोड़ कर उसक पीछे २ गए। उसी समय बालकको पीड़ा देनेके लिए दो देवियोंने भाकाशमें उड़नेवाले दो वृक्षोंका रूप बनाया, परन्तु कृष्णने उन दोनों वृक्षोंको जड़से उखाड़ कर फेंक दिया। उसी समय एक देवीने ताड़का रूप बना लिया और दूसरी फल बन कर कृष्णके मस्तक पर पड़नेको तैयार हुई। तीसरीने गधीका रूप बनाया और कृष्णको काटनेके लिये माई। परन्तु कृष्णने गधीके दोनों पैरों पर उस वृक्षको दे पटका । दूसरे दिन एक देवी घोड़ेका रूप बना कर उन्हें मारने भाई, पान्तु कृष्णने क्रोध भाकर उसका मुंह खूब ही ठोका। अंतमें उन सातों देवियोंने कंसके पास जाकर कहा कि हम उसे नहीं मार सकती और वे अपने स्थानको चली गई।
(७) देवकी और वसुदेवने भी कृष्णका पौरुष सुना । वे दोनों बलभद्र तथा परिवार के साथ गोमुखी उपवासके बहाने बड़ी विभूति सहित गोकुल.माए। भाते ही उन्होंने एक बड़े भारी बलवान उन्मत्त बैलकी गर्दन पकड़कर लटकते हुए श्रीः कृष्णको