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प्राचीन जैन इतिहास। ३२ पांसा उल्टा होजाता था इसलिए उन्होंने किसी बहाने भीमको बाहर भेज दिया और युधिष्ठिरका सारा राज्यपाट जीत लिया यहांतक कि युधिष्ठिरने अपनी रानियां और भाइयोंको भी रख दिया।
(१५) वे बारह वर्षको अपना सारा राज्य हार चुके थे । दुष्ट दुःशाषन महल में आकर द्रौपदीकी चोटी पकड़कर उसे महलसे बाहर सभामें खींच लाया । मांसू बहाती और रोती हुई द्रौपदी सभामें लाई गई । इससे भीम और अर्जुन बहुत क्रुद्ध हुए परन्तु युधिष्ठिर ने सबको शांत कर दिया और वे सब द्रौपदीको साथ लेकर बनको चल दिए।
(१६) मकिन वस्त्र धारण कर अनेक स्थानोंपर भ्रमण करते हुए वे विराटनगरमें पहुचे । उनसे बारह वर्ष भ्रमण करते हुए व्यतीत होचुके थे, भर एक वर्ष वे वेष बदलकर यहीं बिताने लगे। युधिष्ठिरने भोजन बनानेवाले रसोइया, मर्जुन नाटककी नायिका, नकुल घोड़ोंका रक्षक, सहदेव गोवन चरानेवाला और द्रौपदी मालिन बनकर रहने लगी।
(१७) एक समय विराटके साले कीचकने द्रौपदीको देखा, वह उसपर मासक्त होगया। जहां द्रौपदी जाती वहां वह उसके पीछे २ जाता और कामसे अन्धा होकर उसके साथ प्रेमकी बातें बनानेका यत्न करता । उसका यह कलुषित हाल देखकर द्रौपदीने उसे बहुत डांटा पर कीचकने इसपर कुछ ध्यान नहीं दिया। इसके बाद एक समय किसी एक सूने मकानमें उस दुष्टने द्रौपदीका हाथ पकड़ लिया और उससे अश्लीलताकी बातें करने लगा। उस वीर