Book Title: Panchadhyayi Uttararddh
Author(s): Makkhanlal Shastri
Publisher: Granthprakash Karyalay

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Page 13
________________ एका पापबंध भी पृष्ठ. पंक्ति. अशुद्ध. शुद्ध. दृष्ट. पंक्ति. शुद्ध, अशुद्ध. १० ११ ने न २१२ १७ ज्ञान चतना ज्ञान चेतना १७ २२ जावकी जीवकी २१३ १३ यावच्छताभ्यास यावच्छूताभ्यास २७ २९ कम कर्म २१६ ५ ऐकां १८ २८ कमों कर्मों २१६ १६ प्राप्ति व्याप्ति १९ २७ प्रत्थर पत्थर २४६ १ योके योगके २२ १ उपर ऊपर २४८ ३ पाबंध २३ २३ दार्टात दार्टीत २४९ १८ धरी धारी ३० ४ ग २७१ १२ भी ३० २९ कीय कार्य २७२ ४ भी ३५ ८ अर्पक्षा अपेक्षा २७३ १७ ज्ञान अज्ञान ३०० १५ मी ११ २८ उत् उक्त ५४ १४ अलमोनियम एल्यूमीनियम ३०२ १२ मेद भेद ६१ १४ श्रीमद्भवान् ३०२ १८ समक् सम्यक् श्रीमदद्भगवान् ३०३ १८ असमय असंयम ८३ २१ आग्राह्य अग्राह्य ३०३ २० समय संयम ८६ २४ मेद भेद ८७ १२ क्षयोमशम क्षयोपशम ३०३ २२ इंद्रियों इंद्रियोंकी ३०३ १८ संयमका संयमको ८८ २७ शरिर शरीर ९९ २२ शारिरिक शारीरिक ३१६ २७ अचिंत्यऽखा अचिंत्यस्वा ३१७ १३ अर्हन्ट अरहंत १०४ २४ भूभद्रान्ति भूद्भांति ३१७ १८ णिवासिगो णिवासिणो १०५ २ पीताग्वादि पीतत्वादि ३१८ २६ करता करतापना ११६ ५ घूआं धुआं ३१९ १३ सुट्टि समुट्ठि १२६ २५ इसकिये इसलिये १४९ २२ ज्ञकाकार शंकाकार ३२२ २७ सीलोचय धर्म सीलोयधम्म १६२ २६ अदर्शन सदर्शन ३२२ २८ लकक्खण लक्षण १६२ २६ निर्विकित्सा निर्विचिकित्सा ३२१ ३० धण्णे धणे १७७ १२ शसान शासन ३३६ २१ लग १८० ५ प्राट प्रगट ___* कहीं कहीं मात्राओंके टूटनेसे शब्दोंकी १९१ २५ नदेकस्य तदेकस्य शुद्धिमें अन्तर आगया है। ऐसे शब्दोंको २११ २१ विधीयतामू विधीयताम् पाठक महोदय कृपा करके सुधार कर पढ़ें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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