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मोक्षमार्ग की पूर्णता जिनागमानुसार सर्व संसारी अज्ञानी जीवों में अनादि ही से तीन प्रकार के असाधारण भाव/परिणाम पाये जाते हैं।
एक - ज्ञान-दर्शन-वीर्य का क्षायोपशमिक भाव, दूसरा - श्रद्धा व चारित्र का मोह-राग-द्वेषरूप औदयिक भाव तथा तीसरा पारिणामिक भाव शुद्ध जीवत्व शक्तिरूप भाव। इन तीन भावों में से विचार अर्थात् निर्णय करने की शक्ति एक मात्र ज्ञान में है। . १०. प्रश्न-आपने अभी तक कहीं कार्य, कहीं परिणमन, कहीं बदलना - इन शब्दों को प्रयोग किया है। आप इनके लिए एक ही शब्द का प्रयोग करेंगे तो यह विषय हमें और अधिक सुलभता से समझ में आयेगा।
उत्तर - आपकी बात सही है। इन तीनों शब्दों का अर्थ पर्याय (अवस्था) ही है। अब आगे पर्याय शब्द का ही प्रयोग करने का प्रयास करेंगे और पर्याय का स्वरूप भी विशेषरूप से स्पष्ट करेंगे। ___ पर्याय के लिए अन्य भी अनेक नाम जिनवाणी में प्रचलित हैं - जैसे-हालत, दशा, अवस्था, परिणाम, परिणमन, परिणति, पलटना, उत्पाद, व्यय, व्याप्य, क्षणिकता, ये सभी पर्याय के ही पर्यायवाची नाम हैं। अन्वय के व्यतिरेक को भी पर्याय कहते हैं। द्रव्य के धर्म या अंश को भी पर्याय कहा गया है।
११. प्रश्न-सम्यग्दर्शन, मिथ्यादर्शन, मोक्षमार्ग, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्रादि पर्यायों का कम से कम (जघन्य) काल अंतर्मुहूर्त ही शास्त्र में कहा गया है, इसमें भी क्या कुछ खास कारण है? हो तोवह भी बताइए।
उत्तर - हाँ, खास कारण है। किसी भी जीव को सम्यग्दर्शन की पर्याय १,२,३,४आदिसमयोंकीकभीनहीं होती।सम्यग्दर्शन की पर्यायों काजघन्य कालभीप्रवाहरूपसे नियमसे अंतर्मुहूर्त तो होता ही है। .
उसीतरह किसी के भी मिथ्यादर्शन का (नवीनरूप से मिथ्यादर्शनरूप पर्याय उत्पन्न हो तो) काल भी प्रवाहक्रमसे अंतर्मुहूर्त से कम काल का १. प्रवाहक्रम से शब्द का अर्थ - १,२,३,४, समय को जोड़-जोड़ कर मुहूर्त, अंतर्मुहूर्त,
घड़ी, घंटा, दिवस आदि व्यवहार काल बनता है।