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सम्यक्त्व की पूर्णता
१५. प्रश्न - आपने कम से कम एक अन्तर्मुहूर्त काल और अधिक से अधिक अनादि अनंत, अनादिसांत तथा सादि-अनन्त काल की पर्याय कही, उसमें एक समयवर्ती पर्याय गर्भित है या नहीं ?
उत्तर - एक समयवर्ती पर्याय भी अवश्य गर्भित है। पर्याय एक समयवर्ती ही होती है, यह निश्चय कथन है और अन्य दो, तीन, चार समयवर्ती को अथवा अंतमुहूर्त कालवर्ती आदि काल पर्यंत स्थायी अवस्था को पर्याय कहना/मानना- यह सब व्यवहार कथन है। तथापि पर्याय मात्र एक समयवर्ती और सादि-सान्त ही होती है - ऐसा कथन हमें यहाँ विवक्षित नहीं है।
पर्याय के स्वरूप के सम्बन्ध में आध्यात्मिकसत्पुरुष श्रीकानजी स्वामी के विचार द्रष्टव्य है - ___ "श्रद्धा गुण की निर्मल पर्याय सम्यग्दर्शन है, यह व्याख्या गुण और पर्याय के स्वरूप का भेद समझने के लिये है। गुण त्रैकालिक शक्तिरूप होता है और पर्याय प्रति समय व्यक्तिरूप होती है। गुण से कार्य नहीं होता, किन्तु उसकी पर्याय से कार्य होता है। पर्याय प्रति समय बदलती रहती है, इसलिये प्रति समय नई पर्याय का उत्पाद और पुरानी पर्याय का व्यय होता ही रहता है। ___ जब श्रद्धा गुण की क्षायिक पर्याय (क्षायिक सम्यग्दर्शन) प्रगट होती है, तबसे अनन्तकाल तक वह वैसी ही रहती है। तथापि प्रति समय नई पर्याय की उत्पत्ति और पुरानी पर्याय का व्यय होता ही रहता है। इसप्रकार सम्यग्दर्शन श्रद्धा गुण की एक समय मात्र की निर्मल पर्याय है।"१ ___'अन्वय के व्यतिरेक को पर्याय कहते हैं' - इसमें पर्याय की परिभाषा बताई है। द्रव्य के जो भेद हैं, सो पर्याय हैं। द्रव्य तो त्रिकाल है, उस १. सम्यग्दर्शन पृष्ठ-५०