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मोक्षमार्ग की पूर्णता
दूध कहीं मूल वस्तु नहीं है; किन्तु वह तो बहुत से परमाणुओं की स्कन्धरूप अवस्था है और वह अवस्था बदलकर अन्य दही इत्यादि अवस्थारूप हो जाती है, किन्तु उसमें परमाणु-वस्तु तो स्थिर बनी ही रहती है।
दूध बदलकर दही हो जाता है, इसलिये वस्तु अन्यरूप नहीं हो जाती । परमाणु वस्तु है वह तो सभी अवस्थाओं में परमाणुरूप ही रहती है। वस्तु कभी भी अपने स्वरूप को नहीं छोड़ती। श्रीमद् राजचन्द्र ने आत्मसिद्धि छंद ७० में कहा है
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क्यारे कोई वस्तुनो, केवल होय न नाश । चेतन पामे नाश तो, केमां मळे तपास? ॥
जड़ अथवा चेतन किसी भी वस्तु का कभी सर्वथा नाश नहीं होता । यदि ज्ञानस्वरूप चेतन वस्तु नाश को प्राप्त हो तो वह किसमें जाकर मिलेगी? चेतन का नाश होकर क्या वह जड़ में घुस जाता है ? ऐसा कदापि नहीं हो सकता। इसलिये यह स्पष्ट है कि चेतन सदा चेतनरूप परिणमित होता है और जड़ सदा जड़रूप परिणमित होता है; किन्तु वस्तु का कभी नाश नहीं होता ।
पर्याय के बदलने पर वस्तु का नाश मान लेना अज्ञान है; और यह मानना भी अज्ञान है कि वस्तु की पर्याय को दूसरा बदलवाता है ।
वस्तु कभी भी बिना पर्याय के नहीं होती, और पर्याय कभी भी वस्तु के बिना नहीं होती ।
Astro प्रकार की अवस्थायें होती हैं, वे नित्य स्थिर रहनेवाली वस्तु के बिना नहीं हो सकती। यदि नित्य स्थिर रहने वाला पदार्थ न हो तो अवस्था कहाँ से आये ?
दूध, दही, मक्खन, घी इत्यादि सब अवस्थायें हैं, उसमें नित्य स्थिर रहने वाली मूल वस्तु परमाणु है। दूध इत्यादि पर्याय है, इसलिये