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सम्यक्चारित्र ... १. प्रश्न - धर्म क्या है? अर्थात् साक्षात् मोक्षमार्ग क्या है?
उत्तर – चारित्तं खलु धम्मो अर्थात् चारित्र वास्तव में धर्म है, वही साक्षात् मोक्षमार्ग है। (आत्मधर्म : अक्टूबर १९७६, पृष्ठ-२६)
२. प्रश्न - चारित्र का अर्थ क्या है?
उत्तर - शुद्ध-ज्ञानस्वरूप आत्मा में चरना - प्रवर्तन करना सो चारित्र है।
(आत्मधर्म : अक्टूबर १९७६, पृष्ठ-२३) ३. प्रश्न - ऐसे चारित्र के लिए प्रथम क्या करना चाहिए?
उत्तर – चारित्र के लिए प्रथम तो स्व-पर के यथार्थ स्वरूप का निश्चय करना चाहिए, क्योंकि उसमें एकाग्र होना है। वस्तु के स्वरूप का निश्चय किए बिना उसमें स्थिर कैसे होगा? इसलिए प्रथम जिसमें स्थिर होना है, उस वस्तु के स्वरूप का निश्चय करना चाहिए।
. (आत्मधर्म : अक्टूबर १९७६, पृष्ठ-२३) ४. प्रश्न - ‘चारित्तं खलु धम्मो' चारित्र वास्तव में धर्म है - ऐसा कहा, उस चारित्र का स्वरूप क्या है और उसकी प्राप्ति के लिए प्रथम क्या करना चाहिए? ___ उत्तर - शुद्धज्ञानस्वरूप आत्मा में चरना-प्रवर्तना, वह चारित्र है। चारित्र के लिए प्रथम तो स्व-पर के यथार्थस्वरूप का निश्चय करना चाहिए; क्योंकि जिसमें एकाग्र होना है, उस वस्तु के स्वरूप का निश्चय किये बिना उसमें स्थिर कैसे होगा? अतः जिसमें स्थिर होना हो, उस वस्तु के स्वरूप का प्रथम ही निश्चय करना चाहिए।
(आत्मधर्म : अगस्त १९८२, पृष्ठ-२४) ५. प्रश्न - वस्तु के स्वरूप का निश्चय किसप्रकार करना चाहिए?