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महाबंधे पदेसबंधाहियारे
जीवसमुदाहारो जीवपमाणाणुगमो १५६. जीवसमुदाहारे त्ति तत्थ इमाणि दुवे अणियोगद्दाराणि-जीवपमाणाणुगमो अप्पाबहुगे त्ति । जीवपमाणाणुगमेण सव्वत्थोवा सुहुमस्स अपजत्तयस्स जहण्णयं पदेसबंधट्ठाणं । बादरस्स अपञ्जत्तस्स जहण्णयं पदेसबंधट्ठाणं संखेंजगुणं । एवं यथायोगं तथा पदेसग्गं णेदव्वं ।
एवं जीवपमाणाणुगमो समत्तो।
अप्पाबहुगाणुगमो १५७. अप्पाबहुगं तिविधं-जहण्णयं उकस्सयं जहण्णुक्कस्सयं चेदि । उक्कस्सए पगदं-सव्वत्योवा उकस्सपदेसबंधगा जीवा । अणुक्कस्सपदेसबंधगा जीवा अणंतगुणा । एवं अणंतरासीणं सव्वाणं । एवं असंखेंजरासीणं पि । णवरि असंखेंजगुणं कादव्वं । एवं संखेंजरासीणं पि । णवरि संखेंजगुणं कादव्वं । एवं याव अणाहारग ति णेदव्वं ।
१५८. जह० पगदं० । अढण्ण क. सव्वत्थोवा जहण्णपदेसबंधगा जीवा । अजहण्णपदे. जीवा असं०गु० । एवं याव अणाहारग त्ति णेदव्वं । णवरि संखेंजरासीणं संखेंजगुणं कादव्वं ।
१५९. जहण्णुकस्सए पगदं । सव्वत्थोवा अट्ठण्णं क० उक्कस्सपदेसबंधगा जीवा । जह०पदे० जीवा अणंतगुणा । अजहण्णमणु०पदे. जीवा असं०गु० । एवं ओघभंगो
जीवसमुदाहार जीवप्रमाणानुगम ___१५६. जीवसमुदाहारका प्रकरण है। उसमें ये दो अनुयोगद्वार होते हैं-जीवप्रमाणानुगम और अल्पबहुत्व । जीवप्रमाणानुगमकी अपेक्षा सूक्ष्म अपर्याप्त कके जघन्य प्रदेशबन्धस्थान सबसे स्तोक है । उससे बादर अपर्याप्तकके जघन्य प्रदेशबन्धस्थान संख्यातगुणा है। इस प्रकार योगके अनुसार प्रदेशाग्र जानना चाहिए ।
इस प्रकार जीवप्रमाणानुगम समाप्त हुआ।
अल्पबहुत्वानुगम १५७. अल्पबहत्त्व तीन प्रकारका है-जघन्य, उत्क और जघन्योत्कष्ट। उत्कष्टका प्रकरण है । उत्कृष्ट प्रदेशोंके बन्धक जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे अनुत्कृष्ट प्रदेशोंके बन्धक जीव अनन्तगुणे हैं। इसी प्रकार सब अनन्त राशियोंमें जानना चाहिए। तथा इसी प्रकार असंख्यात राशियोंमें भी जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि असंख्यातगुणा करना चाहिए। तथा इसी प्रकार संख्यात राशियोंमें भी जानना चाहिये। इतनी विशेषता है कि संख्यातगुणा करना चाहिए। इसी प्रकार अनाहारक मार्गणातक जानना चाहिए।
१५८. जघन्यका प्रकरण है । आठ कर्मोके जघन्य प्रदेशोंके बन्धक जीव सबसे स्तोक हैं । इनसे अजघन्य प्रदेशोंके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं । इसी प्रकार अनाहारक मार्गणातक जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि संख्यात राशियोंमें संख्यातगुणा कहना चाहिए।
१५९. जघन्य उत्कृष्टका प्रकरण है। आठ कर्मों के प्रदेशोंके बन्धक जीव सबसे स्तोक हैं। इनसे जघन्य प्रदेशोंके बन्धक जीव अनन्तगुणे हैं। उनसे अजघन्य-अनुत्कृष्ट प्रदेशोंके बन्धक
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