Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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सन्देश
-शुभकामना
All India Congress Committee
24, Akbar road New Delhi-1100011 Vasantrao Patil, M. P. - General Secretary
४ नवम्बर, १९८० . हमें यह जानकर अत्यन्त हर्ष हुआ कि आप कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा के नैतिक एवं सामाजिक कार्यों को एक माध्यम मानकर अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित करने जा रहे हैं।
आज समाज तथा राष्ट्र के हित के लिये नैतिक भावनाओं को फैलाने, समाज को छोटी-बड़ी सभी कुरीतियों को दूर करने, तथा साम्प्रदायिकता एवं पृथकतावादी, तत्वों को शान्ति और एकता के रूप में प्रमारित करने व राष्ट्र सेवा मर्वोपरि की भावना पूरे हिन्दुस्तान में जगाने की प्रबल आवश्यकता है। यह तभी सम्भव है जब हम महावीर, महात्मा गाँधी जैसे प्रेरणादायक सन्तों की अमुल्य नैतिक धरोहर को समझें।
आशा है यह ग्रन्थ नैतिकता और राष्ट्रीय विचारों के अनुरूप प्रकाशित होगा। मैं श्री केसरीमलजी के मामाजिक कार्यों की अत्यन्त सराहना करता हूँ। इस अभिनन्दन ग्रन्थ की कामयाबी के लिए मेरी शुभकामनाएँ।
-वसंतराव पाटिल मोहनलाल सुखाड़िया ३, मुनहरी बाग रोड, नई दिल्ली।
मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई है कि कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सराणा का मार्वजनिक अभिनन्दन किया जा रहा है एवं इस सुअवसर पर उन्हें एक अभिनन्दन ग्रन्थ भेंट किया जायगा। श्री मुराणाजी के त्याग, तप एवं माधना का ही प्रतिफल है कि राणावास "विद्याभूमि' बन मका एवं राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में एक आदर्श अनुटा उदाहरण बनने में मक्षम रहा है।
प्रभ में मेरी कामना है कि श्री केसरीभलजी चिरायु हों और उनके जीवन से हमें लाभ मिलता रहे। अभिनन्दन समारोह की सफलता के प्रति हार्दिक शुभकामनाओं महित ।
-मोहनलाल सुखाड़िया
११
मुख्यमंत्री, राजस्थान
जयपुर
१० नवम्बर, १९८१
मुझं यह जानकर प्रसन्नता है कि कर्मयोगी श्री केसरीमल जी सुराणा के जीवन वृत्त पर एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा रहा है।
कर्मयोगी श्री केसरीमल जी सुराणा जिस अनासक्त भाव से शिक्षा की मृजनात्मक प्रवृति का समाज में प्रसार करने के लिए लगे हुए हैं, वह निश्चित ही स्तुत्य और अनुकरणीय है ।
मुझे आशा है कि कर्मयोगी श्री केसरीमल जी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ न केवल संदर्भ सामग्री के रूप में उपयोगी सिद्ध होगी, बल्कि आने वाली पीढियों के लिये राष्ट्र तथा समाज की सेवा में संलग्न रहने की प्रेरणा का स्रोत भी होगा।
मैं इस अभिनन्दन ग्रन्थ के प्रकाशन की सफलता की कामना करता हूँ।
-शिवचरण माथुर
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