Book Title: Kathakosha Prakarana
Author(s): Jineshwarsuri, 
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 254
________________ व्याख्या ] साधुदानफलविषयक पूर्णश्रेष्ठिकथानकम् । ___ एवमणुसरंतस्स अण्णया पच्छिमे वए वट्टमाणस्स पुव्वकम्मदोसेणं परिहीणा लच्छी । तओ न बहु मण्णंति नायरा, नाणुवाति नियगा, न सुणेइ से वयणं राया, न पोसिंति तब्भणियं सामंतामच्चादओ। तओ ठाविओ सव्वेहिं वि अन्नो पुण्णो नाम सेट्ठी । विहवक्खए जणावन्नाए चिंतियं जिणदत्तसेट्ठिणा- 'एत्तो चिय असारो संसारो। सा लच्छी सा महिमा सो य तहा रायनयरिसम्माणो । सयराहं वोच्छिन्नो घिरत्थु संसारवासस्स ॥ । उवयारसहस्साइं राया पम्हुसइ पेच्छ कह इण्हि । अहवा खीरखएणं वच्छो परिहरइ नियजणणिं ॥ उवयारसहस्साइं नयरस्स कयाइं जाइं किं ताई। वीसरियाइ विरत्तं सहस चिय जं पुरं एयं ॥ हा पेच्छ पेच्छ लच्छि विणा उ नियगा वि जं विरत्त म्ह । उवयारसहस्साइं जायाइं अणत्थसाराइं॥ लच्छीऍ जणो धावइ न उणो पुरिसस्स जं ममं इण्हि । न भयंति तविणासे लच्छिसमेयं जणा एयं ॥ पुण्णाभिहाणमहुणा मिच्छद्दिष्टिं भयंति सयणा वि । मज्झ गुणे' पम्हुसिउं घिरत्थु लोयस्स चरियाणं 10 अहवा धिरत्थु मज्झं विजंती संपयं परिञ्चज्ज । जेण न गहिया दिक्खा एचियमेत्तस्स जोग्गो हं ॥ खीरोदहिणो धूया ससिणो भगिणी जणद्दणकलत्तं । होऊण लच्छिजुत्तं नीए जं भयसि पावितु ॥ पयईऍ नीयगामी जलं च इत्थीजणो ति सच्चवियं । अहवा वि चत्तलज्जो नेव उवालंभविसओं ति ।। अच्छंतस्स इहं चिय दुजणदरहसियवंकदिट्ठीहिं । विहुरियहिययस्स विमाणियस्स मह जीवियं विहलं ॥ ता अन्नदेसगामे जुज्जइ गंतुं किमेत्थ मे कजं । अह य भइस्सति गिहं पि दुजणमन्नत्थ गमणेण ॥ 15 ता दे इहेव चिट्ठामि । तओन मिलइ महायणे सो नियहढे ववहरेज जं कालं । तं चिय तत्थ निसीयइ सेसं कालं महप्पा सो ॥ गंतुं पोसहसालं काउं सामाइयं तओ पढइ । अहवा गुणेइ किंचि वि अहवा झाणं झियाएज्जा ॥ अहवा वि साहुमूले गंतूणं सुणइ समयसारं सो । संवेगवुडिजणगं संसारनिधरिसणं" धीरो ॥ सो पुण पुण्णो धणगारविओ जोव्वणुम्मायमत्तो रायामच्चनागरेहिं बहुमन्निज्जतो अदिट्ठकल्लाणो न किंचि अप्पसमं पेच्छइ । बहिरो इव न सुणेई लोयाण पओयणे अणेगविहे । अंधो व लोयणाई उम्मिसइ न जाउ कइया वि॥ डिंभस्स व खलइ गिरा उपहसइ परेसि लद्धबुद्धीओ । तट्टपडिउ व मच्छो तल्लुव्वेल्लिं बहुं कुणइ ॥ अन्नया निग्गओ सो जुण्णसेट्ठी सरीरचिंताए । इओ य भयवं तिहुयणनाहो महावीरो छउमत्थकालियाए विहरंतो तत्थागओ बलदेवस्स आययणे पडिमाए ठिओ । तस्स य भगवओ तक्खणगयस्स 5 मसिणवालयानिविट्ठा चकंकुसागाररेहालंकिया दिट्ठा जुण्णसेट्ठिणा पयावली । सरीरचिंतं काऊण सोयनिमित्तमागएण नईए पुलिणे चिंतियमणेण – 'अहो एयाइं पाएसु लक्खणाई न होंति जिण-चक्कीणं अन्नस्स । चक्किणो दुवालस वि अइकंता, तित्थयरा पुण तेवीसं । एगो अज्ज वि होज्जा । सो वि निसुम्मइ जणवायाओ, जहा कुंडग्गामे तित्थयरनिक्खमणं जायं ति । ता कहिंचि सो भगवं' आगओ भविस्सइ' । गओ पयाणुसारेणं । जाव पेच्छइ-बलदेवाययणे भगवंतं पडिमापडिवण्णं ति । तिपया- 30 हिणी काऊण वंदिओ विणएण महावीरो पज्जुवासिओ य । चिंतियं सेट्ठिणा- 'मन्ने उववासिओ भगवं । तओ पत्ते विकाले नणीइ । एवं पइदियहं सो भगवंतं पज्जुवासेइ, चिंतेइ य– 'जइ मम गेहे भगवओ ___ 1 A गुणा। 2 A अहवा वि। 3 A भइस्संति। 4 B दुजणं तत्थ। 5 B ताहे। 6 BC निवारणं । 7A नास्ति 'भगवं। 8BCननीइ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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