________________
कर्म और आत्मा
1. कर्म किसे कहते हैं? उ. 1. प्राणी की अपनी शुभ और अशुभ प्रवृत्ति के द्वारा आकृष्ट पुद्गल
स्कंध (कर्म वर्गणा) जो आत्मा के साथ एकीभूत हो जाता है, वह कर्म
कहलाता है। 2. आत्मा की अच्छी या बुरी प्रवृत्ति के द्वारा कर्म वर्गणा आकृष्ट होती है
और वह आत्मा के साथ संपृक्त होकर कर्म कहलाती है। 2. कर्म के कितने प्रकार हैं? उ. कर्म के आठ प्रकार हैं
(1) ज्ञानावरणीय कर्म, (2) दर्शनावरणीय कर्म, (3) वेदनीय कर्म, (4) मोहनीय कर्म, (5) आयुष्य कर्म, (6) नाम कर्म, (7) गोत्र कर्म,
(8) अन्तराय कर्म। 3. आत्मा क्या है? उ. जो मिथ्यात्व आदि दोषों के कारण वेदनीय आदि कर्मों का कर्ता है,
कर्मफल-सुख-द:ख का भोक्ता है, कर्मोदय के अनुसार नारक आदि भवों में संसरण करता है तथा सम्यक् दर्शन, ज्ञान और चारित्र की उत्कृष्ट
आराधना से कर्म क्षय कर परिनिर्वाण को प्राप्त करता है वही आत्मा है। 4. आत्मा किसे कहते हैं? उ. जीव, जीव के गुण और जीव की क्रियाएं, इन सबको आत्मा कहते हैं। 5. आत्मा के कितने प्रकार हैं? उ. आत्मा के दो प्रकार हैं-द्रव्य आत्मा और भाव आत्मा। 6. द्रव्य आत्मा किसे कहते हैं? उ. जीव के असंख्य प्रदेशों को द्रव्य आत्मा कहते हैं। 7. भाव आत्मा किसे कहते हैं? उ. जीव की भिन्न-भिन्न अवस्थाओं को भाव आत्मा कहते हैं।
कर्म-दर्शन 15