________________
11
द्रव्य
विशेष गुण 1. धर्मास्तिकाय गतिहेतुत्व, अचेतनत्व, अमूर्तत्व 2. अधर्मास्तिकाय स्थितिहेतुत्व, अचेतनत्व, अमूर्त्तत्व 3. आकाशास्तिकाय अवगाहहेतुत्व, अचेतनत्व, अमूर्त्तत्व 4. काल वर्तनाहेतुत्व, अचेतनत्व, अमूर्त्तत्व 5. पुद्गलास्तिकाय स्पर्श, रस, गंध, वर्ण, अचेतनत्व, मूर्त्तत्व
6. जीवास्तिकाय ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य, चेतनत्व, अमूर्तत्व 3. पर्याय की परिभाषा
गुण की तरह पर्याय भी द्रव्य का धर्म है। द्रव्य का सहभावी धर्म गुण कहलाता है और क्रमभावी धर्म पर्याय कहलाता है। गुण द्रव्य के साथ निरन्तर रहता है और पर्याय हमेशा बदलती रहती है। द्रव्य और गुण की परिवर्तनशील अवस्थाओं का नाम पर्याय है। दूसरे शब्दों में द्रव्य और गुण की पूर्व-पूर्व अवस्था का नाश और उत्तर-उत्तर (नई-नई) अवस्था के उत्पाद को पर्याय कहते हैं। जैसे' जीव द्रव्य का नारक, देव, मनुष्य, तिर्यंच आदि रूपों में परिवर्तित होना जीव की पर्याय है। इन अवस्थाओं में भी वह न जाने कितने-कितने रूपों में बदलता रहता है। इसी प्रकार जीव के ज्ञान, दर्शन, वीर्य आदि गुणों में परिवर्तन होता रहता है। पुद्गलों के स्पर्श, रस, गंध और वर्ण में परिवर्तन होता रहता है। ये सब गुण की पर्याय
हैं।
पर्याय के प्रकार
__ द्रव्य की पूर्व और उत्तर अवस्थाएँ अनन्त हैं अतः पर्याय के भी अनन्त प्रकार हो सकते हैं। किन्तु संक्षेप में उन्हें दो भागों में विभक्त किया जाता है