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महाप्रभाविक जैनाचार्य
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सारे संसार के बड़े २ विद्वानों से भूरी २ प्रशंग जीरा, सनखतरा, अम्बाला शहर पजाब में नये सिरे प्राप्त की। उस युग पुरुष के द्वारा किये गये महान से शुद्ध सनातन जैन धर्म का प्रचार और स्थापना कार्यों की सूचि बनाना असम्भ। नहीं तो कठिन की। प्रोफेसर हानले साहिब से पत्र व्यवहार द्वारा अवश्य है। इसाई पादरियों एवं मिशनरीज का उनके शंकासमाधान तथा उन्हें धर्म वोध दिया, भारत में सर्व प्रथम विरोध करने वाले ही थे। रायल ऐशियाटक सोसायटी से पत्र व्यवहार तथा साहित्यकार, कवि, दार्शनिक, प्राध्यात्मिक, ब्रह्मचारी हानले साहिब के द्वारा ऋगवेद भेंट में मिला । तथा संगीतज्ञ होने के साथ २ वे भारतीय धर्मों एवं संवत् १६४६ में जोधपुर के पण्डितों ने आपका दर्शनों के प्रकाँड विद्वान भी थे। श्री विजय हीर सूरि न्याय प्रियं वार्तालाप सुन कर आपको न्यायांमोनिधि जी तथा विजयसिंहसूरीजी के पश्चात् श्री विजयानन्द (न्याय के समुद्र) की पदवी दी। सरीश्वरजी ही संघ द्वारा प्राचार्य पदवी से विभूषित रचित ग्रन्थ:- जनतत्वादर्शन, तत्वनिर्णयप्रासाद, किये गये।
अज्ञान तिमिर भास्कर, सम्यक्तवशल्योद्धार, चिकागो सक्षेप में उनका जीवन परिचय इस प्रकार है।
प्रश्नोत्तर, जैन मर्म विषियक प्रश्नोत्तर, इसाई मत नामः-श्री विजयानन्द सूरि
समीक्षा, नवतत्व (यंत्र सहित), जैन मत वृक्ष चतुर्थ गृहस्थ नामः-श्री गत्मारामजी
स्तुनि निर्णय, जैन धर्म का स्वरूप । माता का नाम-रूपादेवी
पूजायें व भजन:-स्नात्र पूजा, अष्टप्रकारी पूजा,
सत्रह भेदी पूजा, नवपद पूजा, वीसस्थानक पूजा, पिता का नामः-गणेशदास
श्री स्तवनावलि, प्रारम बावनी। जन्मभूमिः- लहरा (जोरा) पंजाब
विदेशों में प्रचारः---श्री विजयानन्द सरिजी को जन्मतिथि:-चैत्र शुदि १, १८६३
ईस्वी १८५२ में चिकागो (अमरीका) में होने वाली स्थानकवासी दीक्षा-मलेरकोटला-वि०सं० १६१. विश्व धर्म परिषद
विश्व धर्म परिषद में भाग लेने के लिये आमंत्रण संवेगी दीनाः-अहमदाबाद १६३२ मिला, उन्होंने श्री वीरचन्द राघवजी गांधी बैरिस्टर
को वहां भेजा जिन्होंने योरोप और अमेरिका में गुरु का नामः--गणि श्री बुद्धिविजयजी
(श्री बूटेरायजी) महाराज जैन धर्म और भारतीयता पर सैंकडों भाषण दिये । आचार्य पदवी:--पालोताणा-वि० सं० १९४३ गुरूदेव के विषय में समस्त विश्व के उच्च कोटि के स्वर्गवासः-गुजरान वाला-वि० सं० १६५ सुप्रसिद्ध एकत्रित विद्वानों की चिकागो की विश्वधर्म __ अंजनशलाका और प्रतिष्ठा
परिषद ने निम्न उदगार प्रकट किये-:
No min bas so peculiarly identified himself विशेष कार्य:-होशियार पुर, अमृतसर, पही, with the intiresis of the Jain Community as
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