Book Title: Jain Shraman Sangh ka Itihas
Author(s): Manmal Jain
Publisher: Jain Sahitya Mandir

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Page 202
________________ २०० जन श्रमण संघ का इतिहास स्व० उपकारी श्री रामस्वरूपजी महाराज मुनिराज श्री फूलचन्दजी "श्रमण" नाभा (पंजाब ) में "श्री रामस्वरूप जैन पब्लिक आज्ञानुवर्ती प्रधानाचार्य पूज्य श्री आत्मारामजी हायर सेकेन्डरी स्कूल" के जन्मदाता और अन्यान्य म० । संसारी नाम श्री राधाकृष्णजी। जन्म चैत्र शु. कई समाज हितकारी कार्यों के प्रेरक स्वर्गीय पूज्य १४ सं० १९७१ जन्म स्थान रामपुर बुशहर (हिमाचल श्री रामस्वरूपजी महाराज का नाम सदा अमर रहेगा। प्रदेश)। पिता श्री मंगलानन्दजी कामदार । माता श्री आपका जन्म गाजियाबाद जिले के छाजली ग्राम म.लिक्ष्मीदेवीजी । जाति ब्राह्मण, गौतम गौत्र । दीक्षा में एक उच्च कुलीय ब्राह्मण जाति में हुआ था । १३ वि० सं० १९८७ मिति मार्गशीर्ष वदि १२ दीक्षा स्थान वर्ष की अल्पायु में ही आपने स्था० जैन मुनि दीक्षा भदलबड (पटियाला)। दीक्षा गरु पूज्य आत्मारामजी अंगीकार करली । आप महान् अध्यात्मिक एवं परम महाराज के ज्येष्ठ शिष्य प्रसिद्ध वक्ता समाज सुधारक तपस्वी महा पुरुष सिद्ध हुए। आपने अपने जीवन में श्री खजानचन्दजी महागज । ५ लाख व्यक्तियों से मांस मदिरा छुड़वाई । कई नये आप श्री जैन आगमों तथा षड़ दर्शनों के परम क्षेत्र खोलकर नये जैन बनाये । नाभा में सतसङ्ग विद्वान हैं । आप श्रीने नयवाद, क्रियावाद, आत्मवाद, मंडल, जैन सभा तथा हायर सेकेन्डरी स्कूल तथा निक्षेपवाद इत्यादि प्रन्थों का निर्माण किया है । तथा इनकी भव्य इमारतें सब इसी स्वर्गीय महापुरुष की होशियारपुर में श्री जैन शिक्षा निकेतन के निर्माता है। कृपा का ही फल है। श्री फकीर चन्दजी महाराज वर्तमान में एस० एस० जैन सभा नाभा के निम्न संसारिक नाम लाला फकीरचन्द । पिता का नाम प्रधान कार्य कर्ता हैं:-लाला शादीरामजी प्रधान, लाला पीरुमल । माता श्रीमति मम्मीदेवी। जाति लाला मोहनलालजी उप प्रधान, श्री विद्या प्रकाशजी अग्रवाल गर्ग जन्म धनोदा कलां ( जिला सगरूर, ओसवाल जैन जनरल सेक्रेटरी, श्री जैन कुमारजी पंजाब) में फागुन सुदि एकादशी सं० १९४६ । गुरुका जैन उप मंत्री, श्री टेकचन्दजी खजांची तथा श्री राम - नाम गणावच्छेदक श्रीजवाहरलालजी महाराज । दीक्षा तिथि मिगसर सुदी स. १६७४ शनिवार । दीक्षा प्रतापजी ठेकेदार, श्री दर्शनलालजी, श्री चन्दनलाल स्थान कैथल (जिला करनाल, पंजाब)। जी, श्री नौरातारामजी, श्री नत्थूरामजी जैन आदि आप बड़े शांत मूर्ति और घोर तपस्वी हैं । आपने कार्य कारिणी के सदस्य हैं। ३१ दिन का व्रत निरन्तर किया। १७ दिन बेले बेले पारणा किया लम्बे समय के लिये काफी एकन्तरे बाल ब्रह्म चारीश्री प्रेमचन्दजी महाराज किये । सरदी में रात को सात घन्टे कई वर्ष तक संसारी नाम श्री भगवानसिंहजी। जन्म सं० खुले शरीर से तप किया । गरमी के दिनों में दिन के १६५७ पासोजसुदी १० खरक पूनियाँ (जिला हिसार) ग्यारह बजे से लेकर चार बजे तक कड़कड़ाती धूप में पिता श्री हीरासिंहजी । जाति जाट (पूनियाँ गोत्र) बैठ कर तप किया। कई २ घन्टे खड़े होकर ध्यान दीक्षा ज्येष्ठ शुदि ११ सं० १९८६ ( स्थान सनोम) किया और मौन रक्खा। आपने स० १९८३ से अपने (पटियाला) गुरु आचार्य पूज्य श्री आत्मारामजी म० उपयोग के लिये केवल दस चीजों को लेने का प्रण के प्रशिष्य श्री खजानचन्दजी महाराज । किया है । अन्य कोई चीज नहीं लेनी । Shree Sudhamaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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