Book Title: Jain Shraman Sangh ka Itihas
Author(s): Manmal Jain
Publisher: Jain Sahitya Mandir

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Page 205
________________ जैन श्रमण-सौरभ २०५ ms-iSDMINISTRIIND GIMS DHONIND DAHATISTICIDIINDIDIOINDIAHINDILIDITUATIOurbedIUIDAGIodiummedium श्राचार्य श्री कपूरचन्दजी महाराज मुनि श्री नेकचन्दजी महाराज कच्छ आठ कोटि मोटा पक्ष सम्प्रदाय के सम्बन्ध आपका जन्म सं० १६३६ मिगसर बी ६ को में हम पृष्ठ १३२ पर लिख आये हैं । इस सम्प्रदाय गांव दुकाना ( जि. मेरठ ) में हुआ। पिता का नाम के १८ वें पाट पर वर्तमान में आचार्य श्री कपूरचन्द रामारखजो जमीदार जाति जाट गौत्र सिल खादिन । जी महाराज विद्यमान हैं। दीक्षा सं० १९५४ मिगसर वदी ११ गुरु पूज्य श्री भाप श्री का जन्म सं० १६३६ पिता का नाम । श्रमसिंहजी महाराज की सम्प्रदाय के पूज्य श्री नागपारजी तथा माता का नाम सन्दरबाई था। जाति प्यारेलालजी म०। बीसा ओसवाल गौत्र गाला । दीक्षा सं० १९५६ । ___ आप बड़े ही विद्वान, शांत मूर्ति त्यागवीर संत हैं। स्थान तलवाणा। गुरु आचार्य श्री कर्मसिंहजो म० मनि श्री बेनीरामजी महाराज आचार्य पद सं० २०१५ में मांडवी शहर में हुमा। आपका जन्म स्थान रावलपिंडी है। पिता का कच्छ काठियावाड़ में आप श्री के प्रति जैन समाज नाम ख्यालासिंह । माता गगादेवी । जा आसवाल अतीव श्रद्धा है । आप श्री जैनागम के महान ज्ञाता दुगह। सं० १६६२ में आपने पंजाबी सम्प्रदाय के प्रभाविक आचार्य हैं। वर्तमान में आप श्री की प्राज्ञा मुनि श्री खड़गचन्दजी म. के पास दीक्षा ग्रहण की। में १४ मुनिवर तथा ३६ साध्वियाँजी विचर रहे हैं। आज्ञानुवर्ती मुनिवरों में मुनि श्री हेमचन्दजी म. माना मुनि श्री जगदीशचंदजी महाराज जगदारापदणा महाराण रामचन्दजी म., पं. श्री रत्नचन्दजी म०, श्री कुशल- आपका जन्म सं० १६७४ में होशियारपुर के जूह चन्दजी म०, श्री पं० मुनि श्री छाटेलालजी म०, ६० नामक नगर में हुआ। पिता का नाम निहालचन्दजी श्री पूनमचन्दजी म०, मोहनलालजी म०, धीरजलाल माता बसन्तीदेव।। जाति ब्राह्मण गौत्र गग । सं० जी म०, प्राणलालजी, सुभाषचन्दजी, रूपचन्दजी १६६४ मिंगसर सुदी ५ को स्यालकोट में पूज्य श्री तथा भाईचन्दजी महाराज हैं । साध्वियों में आर्याजी आत्मारामजी म० को समुदाय के मुनि श्री गोकुल. श्री हेमकंवरजी, श्री धनकंबरनी, श्री गगाबाईजी चन्द जी म सा० के पास दीक्षा ग्रहण की। आदि ३६ आर्याएं हैं। पूज्य एकलिंगदासजी महाराज की सम्प्रदाय के प्रवर्तक पं. मुनि श्री रत्नचंदजी (कच्छी) पं. मुनि श्री माँगीलालजी महाराज संसारीनाम रणसिंह । जन्म सं० १९५२ स्थान समारो नाम श्री मांगीलालजी संचेती । पिताजी की बांकीगाम मुद्रा (कच्छ)। पिता कानजी शाह । माता गम्भीरमलजी संचेती। माताजी श्री मगनादेवी। जाति मेघबाई । जाति बीसा ओसवाल गौत्र काश्यपछेड़ा श्रोसवाल, संचेती । जन्म पोष कृष्णा अमावश सं० अवट क । दीक्षा सं. १६७६ माहसुद ६ गुरुवार । दीक्षा १६६७ । दीक्षा अक्षयतृतिया ६७८ रायपुर (राजस्थान) स्थान कच्छ बाकी। दीक्षा गुरु श्रीनागचन्दजी स्वामी। गरु का नाम जैनाचार्य श्री एकलिंगदासजी महाराज। आपने निम्न ग्रन्थ गुजराती में रचे हैं:-१ श्रावक जन्म स्थान राजाजी का करेडा (भीलवादा)। व्रत दपेण, २ जन संवाद रत्नमाना, ३ मार्गानुसारि श्राप श्री के प्रयत्नों से कई स्थानों पर सामाजिक ना पांत्रीश बोल, माणसाई पटलेशु, निम्न रचनाएं कुसम्प दूर हुए कुरिवाज मिटे हैं। झूठे बहमों पर संस्कृत में लिखी हैं: चंपकमाला चरित्र५ हरिकेशीमुनि जाति बहिस्कृत व्यक्तियों को वापस जाति में लिखाया चरित्र ६ अनाथमुनि चरित्र ७ ज्योतिश्चन्द्र चरित्र। आपके हाथों से दीक्षाएं, तपानुष्ठान भादि कई कार्य इस प्रकार आप संस्कृत तथा जैनागम के परम हुए हैं। आपके मुनिराज श्री हस्तिमलजी, कन्यालाल विद्वान मुनि हैं । बड़े शांत स्वभावी हैं । जी तथा पुष्कर मुनिजी आदि विद्वान शिष्य है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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