________________
२०८
जैन श्रमण-संघ का इतिहास
आज अहमदाबाद जिले में पाँच सौ गांवों में पं० श्री भारमलजी महाराज धार्मिक दृष्टि से समाज रचना का प्रयोग चल रहा ।
___ स्वर्गीय मेवाड़ भूषण जैनाचार्य श्री मोतीलालजी है । लगभग १००-१५० भाई बहन इस प्रयोग में हाथ
म० के आप प्रधान शिष्य हैं। आपका जन्म संवत् बँटा रहे हैं। आज तो गुजरात में अनेक जगह ये प्रयोग चल रहे हैं । भारत का हृदय गांव है। गांव
१९५० गांव सिन्दु ( मेवाड़) में हुआ। पिता श्री के तीन प्रमुख हिस्से हैं-देहाती, गोपाल और मजदूर !
भैरूलालजो और माता हीराँवाई। जाति ओसवाल
गौत्र-बदाला । दीक्षा संवत् १६७० मिगसर वद ७ इन तीनों समुदायों के क्रमशः खेडूत मंडल', 'गोपाल
गांव थामला (मेवाड़) में पूज्य श्री मोतीलालजी म. मंडल' और 'ग्रामोद्योग मजदूर मंडल' इस प्रकार .
के पास हुई । आपके मुनिराज श्री अम्बालालजी म० मंडलों को स्थापना की गई है। सन् १६४६ में अहमदाबाद में जो हुल्लड़ मचा।
श्री शान्तिलाल जी म०, श्री इन्द्रमलजी म०, श्री मगन उस वक्त महाराज श्री का चातुमास वहां था। आपने
___ मुनिजी तथा श्री सोहनलालजी म. आदि शिष्य हैं। उस समय वहां की शान्ति सेना तथा प्राम सेवकों की प्रवर्तक श्री मानकमुनिजी सहायता से जो कार्य किया उसे सारा देश जानता है। संसारी नाम श्री मोहनलालजी । जन्म सावन सुदी ___ महाराज श्री ने आचारांग, उत्तराध्ययन, दश.
दूज वि० सं० १६५२ गाँव सुरतीया जिला हिसार वैकालक, जैनदृष्टि से गीता दर्शन, आदर्श गृहस्थाश्रम, ब्रह्मचर्य साधना, धर्म दृष्टि से समाज रचना प्राधि (पंजाब)। पिता श्री चन्दूरामजी । माता श्री जेठोबाई । अनेक धार्मिक ग्रंथ लिखे हैं। आप सर्वोदय योजना जाति-ओसवाल, चौधरी । दीक्षा अषाढ़ की पूर्णमाशी, सधन योजना, छात्रालय, कृषि बाल मंदिर, नई वि० सं० १६८० गांव कान्डला जि० मुजफ्फर नगर। तालीम, के स्कूल आदि अनेक जन कल्याण की दीक्षा गुरु श्री बिहारीलालजी (पं० श्री शुक्लचन्दजी प्रवृत्तियों में अपनी साधुता की मर्यादाओं को संभालते म के शिष्य)। हुए योग देते हैं।
आज आपकी उम्र ५४ वर्ष की है। जैन धर्म की तपस्वी श्री सुदर्शनमनिजी दीक्षा लिए आप को ३० वर्ष हो गये हैं। ३० वर्षों पंजाब मंत्री श्री शुक्लचन्दजी म. के शिष्य । संसारी के इस लम्बे अर्से में आप जनता जनार्दन की निरंतर नाम श्री सुरजसिंहजी । जन्म माघ सुदी पंचमी, वार सेवा कर रहे हैं।
बापूजी स्वास्थ्य के कारण जब जह में रहे थे तब शनिवार विक्रम संवत् १६६५। जन्म स्थान कांवट उनसे आपका अच्छा सम्पर्क रहा । आप उन से मिले (गजस्थान ) जिला सीकर । पिता श्री लाधूसिंहजी । थे। कांग्रेस के कामों में भी आप का योग सदैव माता श्री विजयवाई। जाति राजपूत, तामर गोत्र । रहता है। __ आप चातुर्मास में एक ही जगह स्थिरता करते
दीक्षा-वि० सं० १६६१ वसन्त पंचमी । दीक्षा गुरु श्री हैं तथा सदा पैदल प्रवास करते हैं।
पंजाब मंत्री श्री शुक्ल वन्दजी महाराज ।
Shree Sudhammaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com