Book Title: Jain Shraman Sangh ka Itihas
Author(s): Manmal Jain
Publisher: Jain Sahitya Mandir

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Page 93
________________ महाप्रभाविक जैनाचार्य १३ anAIN TELamoDID HOTI HD !! Clintamil medIEFICIIIIIiti :11110Crim e Tamaula पूज्य श्री जवाहरलालजी महाराज और शिक्षण का प्रभाव है कि सादडी संमेलन में पूज्य श्री जवाहरलाल जी महाराज का जन्म पूज्य श्री गणेशीलाल जी महाराज को पाचार्य का यांदला शहर में हुआ था। अल्पावस्था में ही माता पद प्रदान किया गया । आपके शिष्यों में मुनि श्री पिता के स्वर्गवासी हो जाने के कारण मामा के यहाँ घासीलाल जी तथा सिरेमल जी महाराज आदि विद्वान 'प्रापका पालन-पोषण हुआ। सोलह वर्ष की कुमार साधु विराजमान हैं । लगभग २३ वर्ष तक आचार्य अवस्था में आपने दीक्षा ग्रहण की। आप बाल पद को वहन कर सं० २००० में आप स्वर्ग सिधारे । प्रापके सारगर्भित व्याख्यानों का "जवाहर किरणा. ब्रह्मचारी थे। थोड़े हो समय में शास्त्रों का ध्ययन वली" के नामसे सुन्दर संग्रह प्रकाशितहु आ है जो करके जैन शास्त्रों के हार्द को आपने समझ लिया। स्वर्गस्थ प्राचार्य श्री की प्रखर प्रतिभा का अमर परमत का पर्याप्त ज्ञान भी मापने किया था। तुलना __ परिचायक रहेगा। ना त्मक दृष्टि से समभावपूर्वक शास्त्रों की इस प्रकार तर्कपूर्ण व्याख्या करते थे कि अध्यात्मतत्व का सहज जैनदिवाकर श्री चौथमलजी महाराज ही साक्षात्कार हो जाता था। आपकी साहित्य सेवा अपने आपने जोवन-काल में संघ और धर्म की अनुपम है। पूज्य श्रीलालजी के बाद श्राप इस सेवा एवं प्रभावना के लिए जो महान् स्तुत्य कार्य सम्प्रदाय के प्राचार्य हुए। सूत्रकृतांग को हिन्दी टीका किये, वे जैन इतिहास में स्वर्ण वर्गों में लिखने योग्य लिखकर आपने अन्य मतों की आलोचना की है। हैं। जैन दिवाकरजी महाराज ने जो प्रसिद्धि और लाकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई प्रतिष्ठा प्राप्त की, वह असाधारण है । राजा-महाराजा पटेल, पंडित मदनमोहन मालवीय और कवि श्री अमीर-गरीब, जन-जेनेतर सभी वर्ग आपके भक्त थे। नानालाल जी नसे राष्ट्र के सम्माननीय व्यक्तियों ने उत्तर भारत और विशेषतः मेगाड़, मालवा तथा आपके प्रवचनों का लाभ उठाया था। जिस प्रकार मारवाड़ के प्रायः सभी राजा-रईस आपके प्रभावशाली राजकीय क्षेत्र में पडित जवाहरलाल नेहरु लोकप्रिय उपदेशों से प्रभावित थे । मेवाड़ के महाराणा आपके है उसा प्रकार पूज्य श्री जवाहरलाल जी महाराज भो परम भक्त रहे । पालनपुर के नवाब, देवास नरेश धार्मिक क्षेत्र में लोकप्रिय थे। वे राजनीतिक जगत् आदि पर आपकी गहरी छाप पडी। अपने इस प्रभाव के जवाहर हैं तो ये धार्मिक जगत् के जबाहर थे। से जैनदिवाकर जी महाराज ने इन रईसों से अनेक आपके प्रवचनों से केवल नेता और विद्वान् ही धार्मिक काय करवाये । आकषित न होते थे वरन् सामान्य और प्राम्य जनता जैनदिवाकरजी महाराज अपने समय के महान भी आपके प्रवचनों की ओर खूब आकर्षित होती थी। विशिष्ट वक्ता थे । राज महलों से लेकर झोपड़ियों तक आपने सद्धर्म मंडनम् तथा अनु कंपा विचार आपकी जादूभरी वाणी गूजी। वक्ता होने के साथ द्वारा भगवान् महावीर के दयादान विषयक यथार्थ उच्चकोटि के साहित्य निर्माता भी थे। गद्य-पद्य में सिद्धांतों का दिग्दर्शन कराया। आप ही के अनुशासन आपने अनेक ग्रंथों का निर्माण किया, जिसमें Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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