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जैन श्रमण-सौरभ
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| | પંચ પ્રપ્ત થય રચનાલ ત્રિકુટાછે. પ્રાચીન તીએ
શ્રી હિંજયનીતિરૂરીશ્વરજી ઠુંદરજ
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प्राचार्य श्री विजयनीतिसरिजी महाराज मन्दिर पाठशालाएं तथा विद्यालय स्थापित हुए। का मुनि समुदाय
उपधान प्रतिष्ठा आदि अनेक धार्मिक कार्य हुए । __सं० १६६७ पौ० व० ३ को एकलिंगजी में स्वर्गवासी हुए । आपकी परम्परा में आ० विजय हर्षसूरिजी और आपके प्रशिष्य आ० महेन्द्रसूरिजी विद्यमान हैं। प्राचार्य विजय हर्ष सूरीश्वरजी म० ___ जन्म थांवला (जालौर) में सं० १६४१ फा० शु. ५। पिता अचलाजी, माता भरीबाई। जाति-दसा ओसवाल । सं० नाम हुक्माजी। दीक्षा सं० १९५८ फा० शु०६ को दाहोद । गुरु विजयनीति सूरिजी । पन्यास पद १६७० मि० शु० १५ राधनपुर । आचार्य पद १६८८ जे० शु० ६ फलौदी । प्राचार्य विजय महेन्द्र सूरिजी म०
जन्म सं. १६५३ आसोज वदी ३ रतलाम, संसारी आचार्य श्री विजय नीति सूरीश्वरजी म० नाम मिश्रीलाल । पिता चेनाजी, माता दलीबाई । स्व० आचार्य श्री विजय नीति सूरीश्वरजी म. बीसा पोरवाड । दीक्षा तिथि सं० १९६६ का०व०४ का जैन शासन प्रभावना की ओर विशेष लक्ष्य रहा राजपर अहमदाबाद । गरु आ० विजय हर्ष सरिजी। है। आपकी पूर्व परम्परा के लिये पष्ठ ११३ (७) गणि पद १६८६ मि० शु०५ अहमदाबाद। पन्यास
पद १९८७ का० व० ८ सीपोर । आचार्य पद फार ____आपका जन्म सं० १६३० पौष शुक्ला १३ को
व०६ अहमदाबाद । बांकानेर में हुआ। पिता.फूलचन्दजी माता चोथीबाई। आप श्री के शुभ हस्त से कई स्थानों पर उपधान जाति बीसा श्रीमाली संसारी नाम निहालचन्द। प्रतिष्ठा आदि धार्मिक तथा समय २ पर कृत्य हुए हैं दीक्षा सं० १६४६ आषाढ़ शु०११ मेरवाड़ा । गुरु होते रहते हैं। पं० श्री भावविजयजी गणि । सं० १६६१ मि० शु०५ मनि श्री हर्ष विजयजी म. पालीताणा में गणिपद तथा सं० १६६२ का०व०११
जन्म सं० १९६५ आसोज वदी १ बेगम (गुज०) पालीताणा में पन्यास पद । सं० १६७६ मि० शु०५
संसारी नाम झूमचन्द भाई । पिता रंगजी भाई, माता अहमदाबाद में आचार्य पद ।।
आप श्री के उपदेशों से गिरनार तथा चित्तौड़ के जनुबाई । जाति-बीसा श्रीमाली संघणि । दीक्षा सं० जैन मन्दिरों का जीर्णोद्धार हुआ। अनेक स्थानों पर १६८५ महावदी ११ पालीताना । गुरु आ० विजय
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