Book Title: Jain Shraman Sangh ka Itihas
Author(s): Manmal Jain
Publisher: Jain Sahitya Mandir

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Page 179
________________ जैन श्रमण-सौरभ १७६ महान तपोनिष्ठ प्राचार्य श्री विजय सिद्धी सूरीश्वरजी म० (दादा) वर्तमान जैन श्रमण संघ में संभवतः सबसे वयोवृद्ध महामुनि आप श्री ही हैं । इस समय (सं. २०१६)में आपकी आयु करीब १०५ वर्ष है । आप श्री का जन्म सं०१६११ श्रावण शुक्ला १५ को अहमदाबाद में हुआ। १३ वर्ष की अवस्था में प्रबल तम वैराग्य भावना के कारण आपने तत्कालीन महा प्रभाविक पूज्य श्री मणि विजयजी (दादा) के पास सं० १६२४ जेठ वदी २ को अहमदाबाद में दीक्षा अंगीकार की। सं० १६५७ आषाढ़ सुदी ११ को पन्यास पद तथा सं० १६७५ महासुदी ५ को मेहसाना में आप आचार्य पद विभूषित किये गये। इतने लम्बे दंक्षा पर्याय में आ० श्री के शुभ हस्त से अनेकों धार्मिक कल्याणकारी कार्य सम्पन्न हुए हैं। वर्तमान जैन श्रमण समुदाय में आप श्री के प्रति अति श्रद्वा भार हैं । इतने वयोवृद्ध होते हुए भी आप श्री का तपानुष्ठान चालु है। महान तपस्वी आप श्री के ६ प्रमुख शिष्य हुए श्री ऋद्धि विजयजी, विनय विजयजी, प्रमोद विजयजी, पं० रंगविजयजो, आचार्य विजय मेघसूरिजी, केसरविजयजी आदि । श्री विनय विजयजी के शिष्य आचार्य श्री विजय भद्रसूरिजी और प्रशिष्य आचार्य ॐकारों सरिजी विद्यमान हैं। आचार्य श्री मेघसरिजी के १० प्रधान शिष्यों में से आचार्य विजय मनोहर सरिजी, सुमित्र विजयजी, विचक्षण विजयजी, सुबोध विजयजी, सुभद्र विजयजी आदि तथा प्रशिष्य में श्री मृगाक विजयजी, भद्रकर विजयजी, मलय वि. विबुध वि. हेमेन्द्र वि० नय वि०, सुधर्म वि०, क्षेमकर वि०, सूर्यप्रभ वि० आदि २०० साधु साध्वी समुदाय है। जा मुनिराज श्री सुबोध विजयजी महाराज जन्म नाम त्रिकमलाल । जन्म तिथि-सं० १६५८ आषाढ़ सुद ४ रविवार अहमदाबाद रायपुर कामेश्वर नी पोल। पिता शंकरचंद जेसिंहभाई। माता गजराबाई। ओसवाल । दीक्षा सं० १९८१ फा०शु०१०। आप श्री महान तपस्वी हैं। प्रायः नित्य प्रति तपस्या क्रम मुनिराज श्री सुबोध विजयजी म. चालू रहता है । आपके शुभ हस्त से प्रतिष्ठा, अंजन शलाका, पवान आदि अनेक धार्मिक कृत्य हुए हैं।

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