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जैन श्रमण संघ काइतिहास
पंन्यास श्री रंजन विजयजी गणिवर
५. मुनि.मी. नविय,
मुनि श्री भद्रानंद विजयजी संसारी नाम-रतनचंद । जन्म तिथि-सं०
नाम-कुमकुम् बहन । जाति-विष्णु । दीक्षातिथि१९७३ पौष वद ८ मालवाडा (राजस्थान)। पिता का वि० सं० २००५ मागशर सुदी ४ शनिवार । गुरू का नाम-मलूकचंद भाई। माता का नाम-नवल बहन। नाम-पन्यास श्री रंजन विजयजी गणिवर्य । जाति-विसा पोरवाड़। दीक्षातिथि–सं० १६६४ जेठ मुनि श्री विनयेन्द्र सागरजी वद २। गुरु का नाम-पंन्यास श्री तिलक विजयजी गणिवर भाभरवाले । आपने अब तक प्रतिष्ठा तीन, जन्म-स० १६५३ मिगसर सुदी ३ कच्छ उपधान एक, वर्धमान श्रायंबिल तप खाता की स्थापना सुथरी । पिता-गोविन्दजी, माता चंपा बाई । जाति जिर्णेद्धार एक, जैन पुस्तकालय १ की स्थापना, शान्ति- कच्छी दस्सा ओसवाल जन्म नाम वसनजी। दीक्षा स्थात्र ध्वजा दंडा रोपण दीक्षा आदि अनेक शुभ कार्य सं० २००२ अषाढ सुद ३ मोरबी गुरू-श्रा०-श्री गुण कराये हैं । आपकी सम्प्रदाय के वर्तमान आचाये-श्री सागर जी महाराज। विजय शान्तिचंद सूरीश्वरजी हैं।
__आप बड़े ही तपस्वी हैं। कई बार वर्षा तप किये मुनि श्री भद्रानंद विजयजी हैं तथा २४ वर्ष से लगातार एकासणा कर रहे हैं । संसारी नाम-लालचंद । जन्म स्थान-वांखली वर्ष से वर्धमान तप की ओलो कर रहे हैं। वद्धा( मारवाड ) पिता का नाम खेतशी भाई । माता का वस्था के कारण कोठारा ( कच्छ ) में स्थिर वास है।