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वनमान जैन मुनि-परम्परा
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तेरा पंथी सम्प्रदाय
___ श्री जैन श्वेताम्बर तेरापन्यो सम्प्रदाय के प्रारं. इसके साथ ही साथ उन्होंने एकान्तर उपवास करना भिक इतिहास के सम्बध में संक्षिप्त विवेचन पिछले भी प्रारंभ कर दिया । इन्हीं दिनों आपकी धर्मपत्नी पृष्ठ १०८-१०६ पर दिया गया है।
का देहावसान हो गया । पुनर्विगह के लिये घर वालों इस संप्रदाय में अन्य जैन संप्रदायों की तरह का अत्याग्रह होते हुए भी आपने संसार मार्ग की कोई खास भेद प्रभेद या फिरके नहीं बने । सदा से अपेक्षा संयम मार्ग को ही उत्तम माना। और सं० एक ही आचार्य के नेतृत्व में साधु तथा श्रावक संघ १८०८ में आपने पूज्य श्री रुगनाथ जी म० के पास का संचालन होता रहा है । इस संप्रदाय के मूल संस्था- स्थानकवासी दीक्षा ग्रहण की। ८ वर्ष तक भीखणजी पक आचार्य श्री भीखणजी स्वामी हुए । आपके श्री रूगनाथ जी म. के साथ रहे किन्तु दोनों में परस्पर पश्चात् ८ पट्टधर हुए हैं । इन : आचार्यवरों का मतभेद चलता ही रहता था । यह मतभेद दिनों दिन प्रक्षिप्त परिचय इस प्रकार है:
बढ़ता ही गया और अन्ततः स्वामी भीखणजी ने
बगड़ी (मारवाड़) में रूगनाथजी म० का साथ छोड़ प्रथम आनार्य श्री भीखणजी महाराज
दिया । भारीमलजी आदि कुछ साधुओं ने आपका श्रा भीखणजी स्वामी तेरापन्यी संप्रदाय के मूल साथ दिया । संस्थापक हैं।
अलग होने के बाद शनैः शनैः भीखणजी के भापका जन्म प्राषाढ़ सुदी १३ सं० १७८३
__ अनुयायी तेरह साधु हो लिये थे तथा श्रावक भी (जुलाई सन् १७२६) में मारवाड़ के कंटालिया ग्राम
१३ की संख्या में ही बने थे एक समय जोधपुर के में ओसवाल वंशीय श्री वलूजी सखलेचा की धर्मः
बाजार में एक खाली दुकान में ये सब सामायिक पत्नी श्री दीपा बाई को कुति से हुआ।
कर रहे थे। तेरह ही साधु और तेरह ही श्रावकों आपको बाल्यकाल से ही धर्म श्रवण की ओर का यह अनोखा संयोग देखकर एक कवि ने एक अधिक रूचि थो। श्वे० स्थानकवासी संप्रदाय की दोहा जोड़ कर सुनाया और इन्हें तेरा पन्थी के
शाखा के प्राचार्य पूज्य श्री रुपनाथजी महाराज नाम से संबोधित किया। भीखण जी को भी यह को आपने अपना गुरु बनाया । प्रारंभ से ही आपको नामाकरण पसन्द आया और पापने 'तेरा पन्थी'
मृति वैराग्य मार्ग की ओर थी और वह निरन्तर शब्द का अथ बताते हुए कहा कि-जिस पन्य में पांच तीव्र होती ही गई। यहां तक कि आपने गृहस्थाश्रम में महात्रत, पाँच सुमति और तीन गुप्तो हैं वहा तेराही सस्त्रीक व्रत लिया कि वे सर्वथा शील पालन करेंगे। पन्ध अथवा जो पंथ, हे प्रभु तेरा है, वही तेरा
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