________________
जैन श्रमण-सौरभ
- Jite | || || || || | Hell!
आचार्य विजय जम्बूसूरिजी म०
आपका जन्म सं. १६५५ म. व० ११ गांव डभोई । संसारी नाम खुशालचन्द । पिता नाम-मगनलाल माता - मुक्ताबाई । दोक्षा-सं० १९७८ प्र० जे०व० ११ सिरोही । पन्याख पद सं० १६६० फा० ० ३ अहमदावाद । उपाध्याय-सं० १६६२ वें शु० ६ बम्बई आचार्य पद १६६६ फा० शु० ३ अहमदाबाद |
आप जैनागमों के बांचन, मनन एवं अनुशीलन की विशेषताओं से “श्रागम प्रज्ञ" तरीके प्रसिद्ध हैं । तिथि साहित्य के सर्जन के साथ साथ बड़ दर्शन, प्राचीन समाचारी के ग्रन्थ आदि पर आपकी रचनाएं हैं। प्रतिष्ठा, उपधान आदि जैन विधि विधानों का परम विज्ञ हैं ।
मुनि श्री नित्यानन्द विजयजी म०
आपका जन्म सं० १६७८ का० शु० २ अहमदाबाद, । सं० नाम जयन्तिलाल । पिता मोहनलाल । माता मणिबेन । दीक्षा-सं० २००० वै० शु० ७ अहमदावाद । गुरु० आ० श्री वि० जयूसूरिजी । आप बड़े साहित्य प्रेमी एवं उदोयमान लेखक हैं। आपने 'श्री प्रेमांश वाटिका' नाम से अपनी समुदाय दान के सदस्य मुनिवरों के जीवन वृत संग्रहीत कर प्रकाशित कराये हैं ।
Shree Sh
१५५
Dla
आचार्य विजय भुवनसूरिजी म०
आपका जन्म सं० १६६३ महासुदी १३ उदयपुर (मेवाड़) पिता नाम लक्ष्मीलालजी, माता नाम कंकुबाई । बीसा ओसवाल, गौत्र महेता । दीक्षा स १६८० मा० शु० ६ राजोद ( माजवा ) | गुरु आ० वि० रामचन्द्रसूरिजी म० । पन्यास पद १६६५ वैशाख वदी ६ पूनाकेम्प । उपाध्याय पद १६६६ फा० शु० ३ अहमदाबाद | आचार्य पद २००५ महासुद ५ शेगडी (कच्छ)।
आप स्वाध्याय रत रह कर आत्मोन्नति करते हुए समाज कल्याण में सतत् प्रयत्नशील जैन शासन प्रभावक आचार्य हैं। आपके शुभ हस्त से कई जगह उपधान तप, प्रतिष्ठाएं, अजन शलाका आदि महत्व पूर्ण कार्य हुए हैं। आपके नेतृत्व में गिरनारजी व मारवाड़ पंच तीर्थी के संघ निकले हैं।
handal.com