Book Title: Jain Shraman Sangh ka Itihas
Author(s): Manmal Jain
Publisher: Jain Sahitya Mandir

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Page 161
________________ जैन श्रमण-सौरभ स्व० श्रीमद् जिन यशस्सरिजी महाराज आपकी बन्यकाल से ही सांसारिक कार्यों से उदासी नता तथा पठन पाठन की ओर विशेष रुचि थी। इसी पूज्य श्री मोहनलालजी म. के मुख्य शिष्य विहिता कारण आप चुरु चले आये और यहाँ बृहत खरतर गच्छ की मोटी गादी के यति श्री चिमनीरामजी म. खिलागम योगानुष्ठान ५३ उपवास कर स्वग प्राप्त के पास शिक्षा पाने लगे और १६३६ में चरु में यति महान तपस्वी वतमान खरतर गच्छ संवेगी शाखा के दीक्षा अंगीकार की। स० १६४६ में सिद्ध क्षेत्र आचाय प्रवर श्री जिन यशस्सूरिजी म० का जन्म स० (सौराष्ट्र ) में आप संवेगी दीक्षा में दीक्षित हुए। १६१२ जोधपुर में हुआ। सं०१०१० में पूज्य श्री सं० १६६ लशहर में गणि तथा पन्यास पद तथा मोहनलाल जी म० के पास दीक्षित हुए। सं० १६५६ सं. १६६५ में थाणा (बम्बई) में आचार्य पद विभपित में अहमदाबाद में गणि तथा पन्यास पद प्रदान किया गया । सं० १६६६ में बालूचर (मुर्शिदाबाद किये गये। बंगाल ) में सूरिपद विभूषित किये गये। आप भी महा प्रभाविक जनाचार्य हुए हैं। गुजआप एक महान योगी, आत्म साधना में सतत रात बम्बई प्रान्त में आपके प्रति बड़ा भक्ति भाव था लीन रहने वाले महान तपस्वी संत थे। आपका सं० कारण इमक्षेत्र में आप श्री द्वारा अनेकों उपकारी १६७० में महान तीर्थ पायांवरीजी में स्वर्गवास हा काय हुए हैं। अनेक स्थानों पर धर्म प्रभावनार्थ जैन आपके पट्टधर आ० श्री जिन ऋद्धि सरिजी म० हए। मन्दिर तथा उपाश्रयों का निर्माण कराया। वम्बई के पायाधुनीस्थित महावीर स्वामी के मन्दिर में घंटाकर्ण स्व० श्रीमद् जिन ऋद्धिसूरिजो म० १० माननाचतारणा म० की मूर्ति स्थापित की । आप श्री के उपदेश से निर्मित आपका जन्म सं० १६२६ में चुरु (बीकानेर) के थाणा का विशाल जैन मन्दिर आज तीर्थ भूम बना पास लोहागरजी तीर्थ के निकट एक गांव में एक हुआ है। ऐसे महान प्रभावक आचार्य स. २००८ ब्राह्मण कुटुम्ब में हुआ। जन्म नाम रामकुम र था। को बम्बई (पायधुनी) पर स्वग सिधारे।

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