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जैन श्रमण संघ का इतिहास
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(२) पूज्य श्री गणेशीलालजी म० की सम्प्रदाय। (१३) पूज्य श्री नानकरामजी म० को सं० के मुनि ३४ आर्या ७१ । पूज्य गणेशीलालजी म०, मुनि प्रवर्तक श्री पन्नालालजी म. के मुनि ६ आर्या ८ । श्री मलजी आदि ५ प्रतिनिधि ।
प्र० मुनि श्री सोहनलालजी म०।। (३) पूज्य आनन्द ऋषिजी म० की संप्रदाय मुनि (१४) पू० श्री अमरचन्दजी म० की सं० । मुनि १६ आर्या ८५ । प्रतिनिधि आनन्द ऋषिजी म० आदि ७ आर्या ६५ । प्र० मुनि श्री ताराचन्दजी म० श्रादि । ५ मुनि ।
(१५) पू० श्री रघुनाथजी म० की सं०। मुनि २ (४) पूज्य श्री खूबचन्दजी म० की संप्रदाय मनि तथा आयो २६ । प्र० मिश्रीमलजी म. आदि।
(१६) पू० श्री चौथमलजी म० की सं० के प्रवर्तक ६५ आर्या ३८ । प्रति० श्री कस्तूरचन्दजी म० आदि
श्री शार्दूलसिंहजी महाराज । मुनि ४ तथा आर्या ७ । ४ मनि ।
प्रति. मुनि श्री रूपचन्दजी। (५) पूण्य श्री धर्मदासजी म० की संप्रदाय मुनि
(१७) पू० श्री स्वामीदासजी म० की सं० । मुनि २१ तथा आर्या ८६ | प्र० श्री सौभाग्यमलजी म.
७ आर्या १६ । प्र० मुनि श्री छगनलालजी म० तथा आदि ५ मुनि ।
कन्हैयालालजी म०। (६) पूज्य श्री ज्ञानचन्दजी म० की सं० मुनि १३ (१८) ज्ञातपुत्र महावीर संघीय मुनि ३ आर्या २ । आर्या १०५.। प्र० मुनि पूर्णमलजी म० आदि ४ मुनि। प्र० पं० श्री फूलचन्दजी म० ।
(७) पूज्य श्री हस्तीमलजी म. की सं० मुनि (१६) पू. श्री रूपचन्दजी म० को सं० । मुनि ३ आर्या ३३ । प्र. पूज्य श्रीहस्तीमलजी म.आदि २ मुनि। आर्या ४ । प्र०-पं० श्री सुशीलकुमारजी।
(८) पूज्य श्री शीतलदासजी म. की सं०। मुनि (२०) पं० श्री घासीलालजी म० के मुनि ११ । प्र. ५ आर्या ७ । प्र० मुनि छोगलालजी म०।
श्री समीरमलजी म० | (8) पूज्य श्री मोतीलालजी म. मनि १४ आर्या (२१) पू. श्री जीवराजजी म० की सं० के मुनि ३० प्र० मुनि अंबालालजी म०
३। प्र० कवि श्री अमरचन्दजी म०। (१०) पूज्य श्री पृथ्वीचन्दजी म० । मनि १३॥ प्र०
___ (२२) बरवाला सम्प्रदाय ( सौराष्ट्र ) के मुनि ३
आर्या १८ प्र०५० मुनि श्री चम्पकलालजी म. उपा० कवि अमरचन्दजी मः।
इस प्रकार सादडी सम्मेलन में कुल उपस्थित (११) पूज्य श्री जयमलजी म० की स० के स्थ० मुनि सम्प्रदाय २२ मुनि ३४१ आर्या ७६८ । प्रतिनिधि श्री हजारीमल जी म०। मुनि ६ आर्या २६ । प्रः- संख्या ५४ । अनुपस्थित २ । कोटा सम्प्रदाय के दोनों मुनि श्री वृजलाल जी म०, मनि श्री मिश्रालालजी। समुदायों ने सम्मेलन में होने वाले निश्चयों पर
अपनी स्वीकृति भेजी। (१२) पूज्य श्री जयमलजी म० की सं० के पं०
इस प्रकार इस बृहत साधु सम्मेलन से स्थानक मनि श्री चौथमलजी म० के मुनि ६ प्रार्या ५१॥ प्र० वासी सम्प्रदाय के इतिहास में एक नये युग क।
पं. मुनि श्री चांदमलजी, लालचन्दजी आदि। प्रारम्भ होता है । Shree Sudhamaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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