Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji
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जैनसम्प्रदायशिक्षा ।
(२) सामान्यभविष्यत् उसे कहते हैं जिस के होने का समय निश्चित न हो जावे, जैसे- मैं जाऊंगा, मैं खाऊंगा, इत्यादि ॥
(२) सम्भाव्यभविष्यत् उसे कहते हैं जिसमें भविष्यत् काल और किसी बात की इच्छा पाई जावे, जैसे—खाऊं, मारे, आवे, इत्यादि ॥
३- वर्तमानकाल उसे कहते हैं जिस का आरम्भ तो हो चुका हो परन्तु समाप्ति न हुई हो, इस के दो भेद हैं- सामान्यवर्तमान और सन्दिग्धवर्तमान ||
(१) सामान्यवर्तमान उसे कहते हैं जहां कर्ता क्रिया को उसी समय कर रहा हो, जैसे- खाता है, मारता है, पढ़ता है, इत्यादि ॥
(२) सन्दिग्धवर्तमान उसे कहते हैं जिस में प्रारंभ हुए काम में सन्देह पाया जैसे - खाता होगा, पढ़ता होगा, इत्यादि ॥
४- इनके सिवाय क्रिया के तीन भेद और माने गये हैं- पूर्वकालिका क्रिया, विधिक्रिया और सम्भावनार्थ क्रिया ॥
(1) पूर्वकालिका क्रिया से लिंग, वचन और पुरुष का बोध नहीं होता किन्तु उस का काल दूसरी क्रिया से बोधित होता है, जैसे— पड़कर जाऊंगा, खाकर गया, इत्यादि ॥
(२) विधिक्रिया उसे कहते हैं जिस से आज्ञा, उपदेश वा प्रेरणा पाई जावे, जैसे - खा, पढ़, खाइये, पढ़िये, खाना चाहिये, इत्यादि ॥
(३) सम्भावनार्थ क्रिया से सम्भव का बोध होता है, जैसे- खाऊं, पहूं, आ जावे, चला जावे, इत्यादि ॥
५- प्रथम कह चुके हैं कि क्रिया सकर्मक और अकर्मक भेद से दो प्रकार की है, उस में से सकर्मक क्रिया के दो भेद और भी हैं - कर्तृप्रधान और कर्मप्रधान ॥ (१) कर्तृप्रधानक्रिया उसे कहते हैं- जो कर्ता के आधीन हो, अर्थात् जिसके लिंग,
और वचन कर्ता के लिंग और वचन के अनुसार हों, जैसे- रामचन्द्र पुस्तक को पढ़ता है, लड़की पाठशाला को जाती है, मोहन बहिन को पढ़ाता है, इत्यादि ॥ (२) कर्मप्रधानक्रिया उसे कहते हैं कि जो क्रिया कर्म के आधीन हो अर्थात् जिस क्रिया लिंग और वचन कर्म के लिंग और वचन के समान हों, जैसे - रामचन्द्र से पुस्तक पढ़ी जाती है, मोहन से बहिन पढ़ाई जाती है, फल खाया जाता है, इत्यादि ॥
पुरुष - विवरण |
प्रथम वर्णन कर चुके हैं कि –उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष तथा अन्य पुरुष, ये ३ पुरुष हैं, इन का भी क्रिया के साथ नित्य सम्बन्ध रहता है, जैसे- मैं खाता हूं हम पटते हैं, वे जावेंगे, वह गया, तू सोता था, तुम वहां जाओ, मैं आऊंगा, इत्यादि, पुरुष के साथ लिंग का नित्य सम्बन्ध है इस लिये यहां लिंग का विवरण भी दिखाते हैं:
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