________________
(
xxiii )
कबरी; ३ पुष्प-प्रसाधन-पुष्प-माला, आम्रमञ्जरी, पुष्प
मञ्जरी, कर्णोत्पल । (ठ) मनोरञ्जन
१६८-१७४ १. महत्त्व एवं उपादेयता; २. मनोरञ्जन के प्रकार(शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक); (अ क्रीड़ा (क्रीड़ा के प्रकार एवं स्वरूप : जल, वन, दोला कन्दुक, दण्ड, रास, धू त, मृगया-विनोद, पर्वतारोहण, युद्ध इन्द्रजाल, बाह्याली
अलौकिक); (ब) गोष्ठी (प्रकार एवं स्वरूप)। (ड) धार्मिक एवं सामाजिक उत्सव
१७५-१७६ (अ) धार्मिक उत्सव–पञ्चकल्याणक महोत्सव, (गर्भ कल्याणक, जन्म कल्याणक, दीक्षा कल्याणक, केवलज्ञान कल्याणक, निर्वाणकल्याणक), कल्याणाभिषेक, जन्मोत्सव (ब) सामाजिक उत्सव-विवाहोत्सव, वर्षद्धिदिनोत्सव, विजयोत्सव, मदनोत्सव, कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव ।
३. राजनय एवं राजनीतिक व्यवस्था
१८०-२३० (क) राजनय : स्वरूप एवं सिद्धान्त
१८१-१८६ १. राज्य की उत्पत्ति; २. राज्य के प्रकार; ३. राज्य के उद्देश्य एवं कार्य-(आवश्यक कार्य, ऐच्छिक या लोकहितकारी कार्य); ४. राज्य के सप्ताङ्गसिद्धान्त-स्वामी, अमात्य, दण्ड, जनस्थान, गढ़, कोश, मित्र; ५. राजनय के चतुष्टय सिद्धान्त-साम, दाम, दण्ड, भेद; ६. स्वराष्ट्र और परराष्ट्र नीति; ७. राजनय के षड् सिद्धान्त
सन्धि, विग्रह, आसन, यान, संश्रय, द्वैधीभाव । (ख) राजा और शासन-व्यवस्था
१६०-२२० १. राजा तथा उसका महत्त्व; २. राजा : उपाधियां एवं प्रकार; ३. राजा के गुण; ४. राजा के उपहार; ५. राजा : अधिकार एवं कर्त्तव्य; ६. राजा-प्रजा-सम्बन्ध; ७. राजा के उत्तराधिकारी : चयन, शिक्षा और राज्याभिषेक; ८. राजतन्त्र की सीमाएँ; ६. राजा का मन्त्रिमण्डल;
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org