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परम पूज्य गुरुणीजी - श्री भाव श्रीजी म. की चरणरेणु
आत्म साधना में लीन आशीर्वाद मुद्रा में परम पूज्य श्रुतानुरागी विनयगुण सम्पन्न गुरुणीजी प्रवर्तिनी श्री मुक्ति श्रीजी महाराज
अशुभ कर्मों से मुक्त हो, पंचमी गति प्रवेश लक्ष्य की ओर बढ़ने हेतु बीज, पांचम, आठम, ग्यारस, आदि पर्व तिथियों की आराधना व विशस्थानक महातप, ओलीजी व सर्वोच्च श्रेष्ठतम उत्कृष्ट महातप वर्षितपादि विविध तपो की अनुमोदनार्थ ।
श्री गुणानुराग कुलक की तृतियावृत्ति प्रकाशित