Book Title: Gunanurag Kulak
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay

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Page 310
________________ परम पूज्य व्याख्यान वाचस्पति महामहोपाध्याय श्रीमद् यतीन्द्रविजयजी महाराज सा. के सम्मुख राजगढ़ श्रीसंघ के वरिष्ठ जन बैठ करके विचार विनिमय कर रहे थे। पूज्य उपाध्यायजी म. सा. ने विवाद के फैसले का कागज तैयार कर लिया था। जिसको लिपिबद्ध करने का विचार हो रहा था, तब वरिष्ठ श्रावकों ने पूज्य मुनिप्रवर उपाध्यायजी म.सा. से निवेदन किया पूज्यवर अपने यहां एक बालक है, उसको बुला करके फैसला लिखवा लिया जाय, बालक सरदारपुर में वकील सा. के यहां पर महर्रिर का काम करता है। पूज्य उपाध्यायजी म.सा. ने बुलाने का आदेश दिया, उसी समय बालक मांगीलाल को बुलाया। बालक मांगीलाल आकर परम पूज्य उपाध्यायजी म.सा. को विधिसह वन्दन करके एवं श्रेष्ठिवर्ग को जयजिनेन्द्र करके बैठ गया। पूज्य उपाध्यायजी म. बालक मांगीलाल का विनयगुण देखकर बहुत प्रसन्न हुए। बालक मांगीलाल को अपने समीप बुलाकर फैसले के कागज देकर के लिपिबद्ध करने का आदेश फरमाया। मांगीलाल ने फैसले का पूर्णरूप से आलेखित करके परम पूज्य उपाध्यायजी म.सा. के करकमलों में अर्पित किया। पूज्यवर लेखन कला की सुन्दरता व विषय का विश्लेषण देखकर हर्षित हुए। मांगीलाल को आशीर्वाद प्रदान कर आदेश दिया कि इसी प्रकार धर्म व शासन के प्रत्येक काम में रुचि लेकर करते रहना। सफलता पूज्य दादा गुरुदेव प्रदान करते रहेंगे। - श्रीसंघ के प्रतिनिधि फैसला सुनकर तथा मांगलिक श्रवण कर पूज्यपाद दादा गुरुदेवश्री की जयकार के साथ सभी विसर्जित हुए। परम पूज्य महोपाध्याय श्रीमद् यतीन्द्रविजयजी म. सा. स्वाध्याय

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