Book Title: Gunanurag Kulak
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay

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Page 326
________________ लक्ष्य यह था कि तीर्थ का विकास सुनियोजित रूप से हो। आचार्य श्री मुनि मंडल सह श्री मोहनखेड़ा तीर्थ पधारे। श्री मांगीलालजी छाजेड़ ने धार, झाबुआ जिले के गुरु भक्तों की मीटिंग बुलाई। गुरु भक्तों ने श्री यतीन्द्र सेवा समिति के नाम से एक समिति का गठन किया, जिसके मंत्री पद का उत्तरदायित्व श्री मांगीलालजी छाजेड़ सा. को सौपा। _सं. २०१६ का चार्तुमास आचार्य श्री का राजगढ़ नगर में था। पूज्य आचार्य श्री ने अपनी वृद्धावस्था के कारण अखिल भारतीय स्तर के कार्यक्रम व्यवस्थित चलते रहे। इन विचारों को मूर्तरूप देने हेतु परम पूज्य कविरत्न मुनिराज श्री विद्याविजयजी म. सा. ने निश्रा में चार श्रावकों की एक समिति बनाई, समिति के संयोजक श्री मांगीलालजी छाजेड़ बनाए गए। दिनांक १-९-५९ को समिति का गठन किया। उसी आलेख को दृष्टिगत रखते हुए २७-८-७५ • को परम पूज्य कविरत्न शासनं प्रभावक श्रीमद्विजय श्री विद्याचन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. ने श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वेतंबर पेढी (ट्रस्ट) का विधान बनाकर रजिस्ट्रेशन करवाया। उसी ट्रस्ट के माध्यम से .२.०३४ माघ सुदि १३ सोमरार दिनांक २०-२-७८ को एक लाख जन समूह की उपस्थिति मे भव्यातीभव्य प्रतिष्ठोत्सव मनाया गया। ऐसे अनेक भव्य समारोह उपधान महातप एवं प्रति वर्ष दादा गुरुदेव भगवन्त का गुरु सप्तमी समारोह सानन्द सम्पन्न होते यह एक मात्र श्री मांगीलालजी छाजेड़ का कुशल नेतृत्व है। सभी को लेकर चलना और निडर, निष्पक्ष, निर्भिकता का ही परिणाम श्री मोहनखेड़ा तीर्थ का चहुमुखी विकास है। इसमें श्री मांगीलालजी छाजेड़ का श्रम छिपा हुआ है।

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