Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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आपने ही सर्वप्रथम मुझे जिनवाणी के स्वाध्याय-मननचिन्तन, सम्पादन और प्रकाशन में संलग्न किया। मेरे पूज्य पिताश्री महेन्द्रकुमारजी पाटनी आपके चरणों का अवलम्ब पाकर ही मुनि समतासागर जी हुए। मैं भी सदैव आपके वात्सल्यमय शुभाशीर्वाद का सुपात्र रहा। उस पावन आत्मा के प्रति अपनी विनयांजलि समर्पित करता हूँ।
वाचना में सहयोगी रहे मुनि वर्धमानसागरजी (अब आचार्य) का भी मैं अनुगृहीत हूँ। आप लदैव मुझे इस नवीन संस्करण के शीघ्र प्रकाशन हेतु प्रेरित करते रहे हैं। मैं आपके चरणों में सविनय नमोस्तु निवेदित करता हूँ।
पूज्य मुनि श्री गुणसागरजी महाराज के प्रति भी सविनय नमोस्तु निवेदित करता हूँ जिनका वात्सल्य मुझे सदैव यथाशीघ्र कार्य सम्पन्न करने हेतु सम्प्रेरित करता रहा।
मेरे शुभैषी और अनन्य सहयोगी पं.जवाहरलालजी सिद्धान्तशास्त्री का भी मैं अतिशय अनुगृहीत हूँ जिनसे मुझे सदैव सत् परामर्श और योग्य मार्गदर्शन मिला। आप सच्चे अर्थों में पं. रतनचंदजी मुख्तार के उत्तराधिकारी हैं और आज करणानुयोग-ज्ञाताओं में अन्यतम हैं। मैं आपके शीघ्र स्वास्थ्यलाभ और दीर्घजीवन की कामना करता हूँ।
संदृष्टियों, तालिकाओं और गणितीय वक्तव्यों से परिपूर्ण इस जटिल ग्रंथ के सुन्दर, निर्दोष एवं सुसंयोजित प्रकाशन हेतु निधि कम्प्यूटर्स, जोधपुर के श्री क्षेमंकर पाटनी को धन्यवाद देता हूँ। स्वच्छ एवं मोहक मुद्रण के लिए हिन्दुस्तान प्रिंटिंग हाउस के कर्मचारी धन्यवाद के पात्र हैं।
'अविरल' ५४-५५, इन्द्रा विहार सेक्शन ७ विस्तार योजना न्यू पावर हाउस रोड, जोधपुर
डॉ. चेतनप्रकाश पाटनी
सम्पादक अक्षय तृतीया, वि. सं. २०६०
४ मई २००३