________________
छहढाला प्रश्न ३–नरक किसे कहते हैं ? वे कहाँ हैं ?
उत्तर---पाप कर्म के उदय से जिसमें उत्पन्न होते ही जीव असह्य और अपरिमित वेदना पाने लगते हैं । दूसरे नारकियों के द्वारा सताये जाने आदि से दुःख का अनुभव करते हैं लथा जहाँ विद्वेषपूर्ण जीवन बीतता है, वह स्थान 'नरक' कहा जाता है । सभी नरकों का स्थान अधोलोक में है ।
प्रश्न ४-नरक कितने हैं ? नाम बताइए ।
उत्तर--नरक सात हैं—(१) घम्मा, (२) वंशा, (३) मेघा, (४) अंजना, (५) अरिष्टा, (६) मघवी, (७) माधवी ।
प्रश्न ५-नरक की भूमियों के नाम बताइए ?
उत्तर-(१) रत्नप्रभा, (२) शर्कराप्रभा, (३) बालुकाप्रभा, (४) पंकप्रभा, (५) धूमप्रभा, (६) तम:प्रभा, (७) महातमःप्रभा ।
प्रश्न ६--नरक गति किसे कहते हैं ? उत्तर-नरक गति नामकर्म के उदय से नरक में जन्म लेना ।
नरक गति के दुःख तहाँ भूमि परसत दुख इसो, बिच्छू सहस इसें नहिं तिसो । तहाँ राथ-शोणितवाहिनी, कृमिकुलकलित देहदाहिनी ।।१०।।
शब्दार्थ-तहाँ = वहाँ ( नरक में ) । परसत = छूने से । इसी = इतना । सहस = हजार । डसें = काटने से । तिसा = उतना । राध = पीव । श्रोणित = खून | वाहनी = नदी ! कृमि = क्रीड़ा । कुल = समूह । कलित = सहित । देह = शरीर । दाहनी = जलाने वाली।
अर्थ-उन नरकों की पृथ्वी का स्पर्श करने से जितना दुःख होता है, उतना हजार बिच्छुओं के एकसाथ काटने पर भी नहीं होता है । वहाँ नरक में पीव और खून बहाने वाली, कोड़ों के समूह से भरी हुई और देह को जलाने वाली वैतरणी नदी बहती है ।
प्रश्न १-नरक भूमियों का स्पर्श कैसा है ?
उत्तर-नरकों की भूमियों का स्पर्श करने मात्र से इतना दुःख होता हैं कि यहाँ पर यदि एकसाथ हजार बिच्छू भी डंक मारें तो उतनी. तकलीफ नहीं हो ।
प्रश्न २-नरकों को नदियों का जल कैसा है ?