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छहढाला
प्रश्न १ - जीव के कितने भेट हैं ?
उत्तर -- जीव के तीन भेद हैं-- ( १ ) बहिरात्मा, (२) अन्तरात्मा,
(३) परमात्मा ।
प्रश्न २ – बहिरात्मा किसे कहते हैं ?
उत्तर- "देह जीव को एक गिने बहिरातम" जो शरीर और आत्म्य को एक गिनता हैं उसे बहिरात्मा कहते हैं ।
प्रश्न ३ --- अन्तरात्मा के कितने भेद हैं ?
उत्तर- - अन्तरात्मा के तीन भेद हैं- (१) उत्तम, (२) मध्यम,
( ३ ) जघन्य ।
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प्रश्न ४ – उत्तम अन्तरात्मा कौन है ?
उत्तर — "द्विविध संग बिन शुध उपयोगी" दो प्रकार परिग्रह रहित शुद्धोपयोगी मुनि (दिगंबर साधु ) उत्तम अन्तरात्मा हैं ।
प्रश्न ५ - दो प्रकार का परिग्रह कौनसा है ?
उत्तर -- (१) अन्तरंग, (२) बाह्य |
अन्तरंग परिग्रह चौदह प्रकार का है - ( १ ) मिध्यात्व, (२) क्रोध, (३) मान, (४) माया, (५) लोभ, (६) हास्य, (७) रति, (८) - अरति, (९) शोक, (१०) भय, (११) जुगुप्सा, (१२) स्त्री वेद, (१३) पुरुष वेद, (१४) नपुंसक वेद ।
बाह्य परिग्रह दस प्रकार का है - ( १ ) क्षेत्र, (२) वास्तु, (३) हिरण्य, (४) सुवर्ण, (५) धन, (६) धान्य, (७) दासी, (८) दास, (९) कुप्य और (१०) भाँडे (बर्तन) ।
प्रश्न ६ – मध्यम अन्तरात्मा कौन-कौन हैं ?
उत्तर - पाँचवें और छठे गुणस्थानवर्ती जीव - श्रावक-श्राविका,
और मुनिराज – ये मध्यम अन्तरात्मा कहलाते हैं ।
प्रश्न ८
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- जघन्य अन्तरात्मा कौन हैं ?
उत्तर - व्रतरहित सम्यग्दृष्टि जघन्य अन्तरात्मा है ।
आर्यिका
प्रश्न ७ -- गुणस्थान किसे कहते हैं ?
उत्तर - मोह और योग के निमित्त से होनेवाली जीव को परिणति को गुणस्थान कहते हैं ।