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छहढ़ाला
प्रश्न ४---लोक मूढ़ता का लक्षण बताइए ?
उत्तर-धर्म समझकर बालू-पत्थरों आदि का ढेर लगाना, जलाशयों में स्नान करना, पर्वतादि ऊँचे स्थानों से गिरना लोक मूढ़ता या धर्म मूढ़ता है ।
प्रश्न ५–अनायतन किसे कहते हैं, वे कितने हैं, नाम बताओ ? उत्तर-अधर्म के स्थान को अनायतन कहते हैं, ये छह हैं
(१) कुगुरु (२) कुदेव, (३) कुधर्म, (४) कुगुरु सेवक, (५) कुदेव सेवक और (६) कुधर्म सेवक ।
प्रश्न ६--शंकादिक दोष कितने हैं कौन से हैं ? उत्तर-शंकादिक आठ दोष हैं
(१) शंका, (२) कांक्षा, (३) विचिकित्सा, (४) मूढदृष्टि, (५) अनुपगृहन, (६) अस्थितिकरण,
(७) अवात्सल्य और (८) अप्रभावना । प्रश्न ७–सम्यक्त्व के गुण बताइए ? उत्तर–सम्यक्त्व के ४ गुण हैं(१) प्रशम, (२) संवेग, (३) अनुकम्पा, (४) आस्तिक्य । प्रश्न ८–इनके भिन्न-भिन्न लक्षण बताइए ? उत्तर--(१) प्रशम-रागादि कषायों का उपशम प्रशम कहलाता है ।
(२) संवेग-संसार, शरीर-भोगों से भय होना संवेग है । (३) अनुकम्पा—प्राणीमात्र पर दया अनुकम्पा है । (४) आस्तिक्य-पुण्य, पाप तथा परमात्मा के प्रति
विश्वास आस्तिक्य कहलाता है । प्रश्न ९–पच्चीस दोष व आठ अंगों को जानना आवश्यक क्यों हैं ?
उत्तर-"बिन जानेतें दोष गुणन को कैसे तजिये गहिये" दोष और गुणों को जाने बिना गुणों का ग्रहण और दोषों का त्याग नहीं बन पाता है । अत: सम्यक्त्व के पच्चीस दोष और अंगों को जानना बहुत आवश्यक हैं |